India News (इंडिया न्यूज), Cordyceps Sinensis: कीड़ा जड़ी, जिसे कॉर्डिसेप्स सिनेंसिस और कॉर्डिसेप्स मिलिटारिस के नाम से भी जाना जाता है, आयुर्वेद में एक विशेष स्थान रखती है। यह औषधि अपनी चमत्कारी गुणों के कारण न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
कीड़ा जड़ी क्या है?
कीड़ा जड़ी एक प्रकार की फंगस है, जिसे कैटरपिलर फंगस भी कहा जाता है। यह नेपाल और तिब्बत के हिमालयी पहाड़ों में पाया जाता है। जब एक खास प्रकार की फंगस घास खाने वाले कैटरपिलर के शरीर में प्रवेश करती है, तो उसकी मृत्यु हो जाती है और कैटरपिलर के शरीर के अंदर यह फंगस विकसित होती है। समय के साथ, यह फंगस बाहर निकलकर जड़ी-बूटी का रूप ले लेती है, जिसे कीड़ा जड़ी कहते हैं। इसका रंग भूरा होता है और इसका स्वाद मीठा होता है।
कीड़ा जड़ी के लाभकारी गुण
- ऊर्जा और प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाना: कीड़ा जड़ी का सेवन शरीर की ऊर्जा और प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाता है। यह थकावट और कमजोरी को दूर करने में मददगार है।
- एंटी-फ़ंगल और एंटी-एजिंग गुण: इसमें एंटी-फ़ंगल और एंटी-एजिंग गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को स्वस्थ और जवान बनाए रखने में सहायक हैं।
- यौन शक्ति वर्धक: इसमें यौन शक्ति बढ़ाने के गुण होने के कारण इसे “हिमालयी वियाग्रा” भी कहा जाता है। यह यौन स्वास्थ्य में सुधार करता है और प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है।
- श्वसन स्वास्थ्य में सुधार: कीड़ा जड़ी अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं में भी लाभकारी है।
- मधुमेह नियंत्रण: यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे मधुमेह के मरीजों को लाभ होता है।
कीड़ा जड़ी का उपयोग कैसे करें?
कीड़ा जड़ी का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है:
- इसे पाउडर के रूप में दूध या पानी के साथ सेवन किया जा सकता है।
- कुछ लोग इसे चाय के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
- इसे कैप्सूल के रूप में भी उपलब्ध कराया जाता है।
सावधानियां
- कीड़ा जड़ी का सेवन डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
- अधिक मात्रा में सेवन करने से हानि हो सकती है।
पथरी हो या गांठ, 3 दिन में देगी गला! गठिया के लिए अमृत से कम नहीं ये सब्जी, आज हीं लें अपना!
कीड़ा जड़ी हिमालय की गोद से प्राप्त एक अनमोल औषधि है, जो न केवल शरीर को ताकत और ऊर्जा प्रदान करती है, बल्कि विभिन्न बीमारियों से भी बचाती है। इसकी चमत्कारी गुणों के कारण इसे आयुर्वेद में विशेष स्थान प्राप्त है। हालांकि, इसका उपयोग सावधानीपूर्वक और विशेषज्ञ की सलाह से ही करना चाहिए।