India News (इंडिया न्यूज), Diabetes and Obesity Causes of Liver Disease: शरीर का सबसे व्यस्त और महत्वपूर्ण अंग लिवर, मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और पाचन क्रिया में सहायता करने जैसे सैकड़ों कार्य करता है। लेकिन आधुनिक जीवनशैली में डायबिटीज और मोटापे जैसी बीमारियों के चलते इसकी सेहत को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। हाल के शोधों से पता चला है कि मेटाबॉलिक बीमारियों के पीछे लिवर की बिगड़ती सेहत भी एक महत्वपूर्ण कारण हो सकती है।
डायबिटीज और मोटापे से कैसे प्रभावित होता है लिवर?
विशेषज्ञों का मानना है कि डायबिटीज और मोटापे के मरीजों में “फैटी लिवर” या मेटाबोलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टेटोटिक लिवर डिजीज (MASLD) विकसित होने की संभावना अधिक होती है। यह स्थिति लिवर में अत्यधिक वसा जमा होने से होती है, भले ही मरीज ने कभी शराब का सेवन न किया हो। समय पर इलाज न मिलने पर यह स्थिति गंभीर सूजन, फाइब्रोसिस, सिरोसिस और यहां तक कि लिवर कैंसर का कारण बन सकती है।
लिवर की सेहत की जांच: लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT)
लिवर की कार्यक्षमता को समझने के लिए लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) एक अहम जांच है। इसमें निम्नलिखित एंजाइम और प्रोटीन की मात्रा मापी जाती है:
- SGPT (ALT) और ALP: लिवर एंजाइम जो सूजन का संकेत देते हैं।
- बिलीरुबिन: शरीर में बिलीरुबिन की अधिकता लिवर की समस्या का संकेत हो सकती है।
- एल्ब्यूमिन और टोटल प्रोटीन: यह लिवर की प्रोटीन निर्माण क्षमता को दर्शाते हैं।
विशेष रूप से मोटापे या डायबिटीज के मरीजों में ये टेस्ट लिवर की समस्याओं का पता शुरुआती चरण में ही दे सकते हैं, जब तक कोई स्पष्ट लक्षण न दिखें।
समय पर जांच क्यों है जरूरी?
डायबिटीज और मोटापा लंबे समय तक चलने वाली बीमारियां हैं। यदि किसी व्यक्ति का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) अधिक है या लिपिड प्रोफाइल असामान्य है, तो हर 6-12 महीने में लिवर फंक्शन टेस्ट कराना अत्यंत आवश्यक है।
भारत में लगभग 12% आबादी मोटापे से ग्रस्त है और 10 करोड़ से अधिक लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। ऐसे में लिवर से जुड़ी बीमारियों का बोझ तेजी से बढ़ रहा है। समय पर जांच और उचित इलाज से इस बोझ को कम किया जा सकता है।
समाधान: लिवर को स्वस्थ रखने के उपाय
अच्छी खबर यह है कि लिवर की बीमारियां शुरुआती चरण में पूरी तरह ठीक हो सकती हैं। इसके लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- वजन कम करें: मोटापे को नियंत्रित करने से लिवर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- संतुलित आहार लें: कम कार्बोहाइड्रेट और पोषण से भरपूर आहार का सेवन करें।
- नियमित व्यायाम: रोजाना 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि लिवर की सेहत में सुधार लाती है।
- ब्लड शुगर का नियंत्रण: डायबिटीज को नियंत्रित रखने से लिवर पर तनाव कम होता है।
उन्नत तकनीकों से समय पर निदान
- फाइब्रोस्कैन: यह एक नॉन-इनवेसिव तकनीक है जो लिवर की स्थिति को बारीकी से जांचती है।
- अल्ट्रासाउंड: लिवर में वसा की मात्रा का पता लगाने का एक सरल और प्रभावी तरीका।
लिवर शरीर का वह अनमोल हिस्सा है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। समय पर जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से लिवर की बीमारियों को न केवल रोका जा सकता है, बल्कि शुरुआती चरण में उन्हें पूरी तरह ठीक भी किया जा सकता है। अपनी लिवर की सेहत का ध्यान रखें और नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं।