Piles Causes: एक ऐसी बीमारी जैसे लोग बताने में शर्माते हैं। यहां तक कि उस बीमारी का नाम सुनकर भी इंसान का मजाक उड़ाया जाता है। उस बीमारी को हम पाइल्स कहे, बवासीर कहें, फिस्टुला या फिर भगदड़ कहें एस बीमारी को एक मजाक के तौर पर ही देखा जाता हैं पर इस बीमारी को खुलकर ना बताना आगे जा कर बहुत बड़ी परेशानी का कारण भी बन सकती है। यहा तक की इस बिमारी से आपको कोलोन कैंसर भी हो सकता है और पाइल्स से लोगों को जागरूक करने के लिए एक पूरा दिन भी दिया गया है जे 20 नवंबर है इस दिन वर्ल्ड पाइल्स डे मनाया जाता हैं।
एक्सपर्ट्स की क्या है राय
देश के कई जाने-माने कोलोरेक्टल सर्जन का मानना यह है कि स्टोल में ब्लड आने को इग्नोर नहीं करना चाहिए, कई लोग अपनी हिचक के कारण डॉक्टरों से बात नहीं करते हैं और कई लोग रोडसाइड डॉक्टर के पास चले जाते हैं। जिस वजह से उनकी बीमारी और भी खतरनाक हो जाती है। सही डॉक्टर के पास ही इसका सही इलाज मिल सकता हैं।
यह खाने से होता है बवासीर
देश में बड़ी महामारी कोविड के दौरान लोग खानपान को लेकर काफी सचेत हो गए थे। कोविड के बीतने के बाद खानपान फिर से पुराने ढंग में चला गया है। जिससे बवासीर बढ़ते जा रहे हैं। डॉक्टर का मानना यह है कि कोविड के दौरान 130 से 140 सर्जरी की जाती थी लेकिन अब वह 200 से ज्यादा हो चुकी है। डॉक्टर का कहना यह है कि लोगों को समझना चाहिए कि कोरोनावायरस जाने से दुनिया की सभी बीमारियां नहीं चली गई हैं।
क्या छोटे बच्चे को भी हो सकता है बवासीर
यह बीमारी किसी उम्र को नहीं देखती, डॉक्टर्स का कहना है कि उन्होंने 3 साल के बच्चे का भी पाइल्स का ऑपरेशन किया है। यहां तक कि 97 साल के व्यक्ति का भी पाइल्स का ऑपरेशन हो चुका है इसलिए इस बीमारी में उम्र का कोई भी दायरा मायने नहीं रखता।
क्या है पाइल्स के इलाज की दवाइयां
पाइल्स जैसी बीमारी को 4 ग्रेड में बांटा गया है। अगर किसी को पहले ग्रेड में पाइल्स है तो उसका ऑपरेशन जरूरी नहीं है, दवाइयों से वह ठीक हो सकता है, लेकिन अगर वह दूसरे ग्रेड में जा चुका है, तो उसके लिए लेजर ट्रीटमेंट कराया जा सकता है, वहीं अगर परेशान व्यक्ति तीसरे ग्रेड में पहुंच चुका है। तो दवाइयों के साथ उसका लेजर ट्रीटमेंट जरूरी है। वहीं चौथे ग्रेड के लिए ऑपरेशन एकमात्र उपाय बचाता हैं।
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