India News (इंडिया न्यूज़), Benefits of Moringa: मोरिंगा दुनिया का सबसे ताकतवर और बेहतरीन पोषक तत्व है। यह 300 से ज़्यादा बीमारियों में बहुत फ़ायदेमंद है। इसकी जड़ से लेकर फूल, पत्ती, फली, तना, गोंद, सब कुछ बहुत फ़ायदेमंद है। मोरिंगा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्प्लेक्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है। एक शोध के अनुसार, इसमें दूध से 4 गुना ज़्यादा कैल्शियम और दोगुना प्रोटीन होता है। प्राकृतिक गुणों से भरपूर मोरिंगा इतने औषधीय गुणों से भरपूर है कि इसकी फली से बने अचार और चटनी कई बीमारियों से निजात दिलाने में मददगार हैं।
शरीर के लिए चमत्कारी है सहजन
यह न केवल इसे खाने वाले के लिए बल्कि जिस जमीन पर इसे लगाया जाता है उसके लिए भी फायदेमंद है। सहजन एक पेड़ नहीं बल्कि इंसानों के लिए कुदरत का एक चमत्कार है। इसका सेवन करने से कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है। इसका वानस्पतिक नाम ‘मोरिंगा ओलीफेरा’ है, हिंदी में इसे सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा भी कहते हैं। जो लोग इसके बारे में जानते हैं वे इसका सेवन जरूर करते हैं। सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में, इसकी फली वात और शूल में, पत्तियां नेत्र रोग, मोच, साइटिका, गठिया आदि में उपयोगी हैं।
मोरिंगा के फायदे
इसकी छाल का सेवन साइटिका, गठिया, लीवर में फायदेमंद है। सहजन की छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग ठीक होते हैं। इसके पत्तों का काढ़ा पीने से गठिया, साइटिका, मधुमेह, लकवा, गैस की समस्या में शीघ्र लाभ मिलता है। तीव्र साइटिका में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखाता है। मोच आदि होने पर सहजन के पत्तों की लुगदी बनाकर सरसों का तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच वाले स्थान पर लगाने से शीघ्र आराम मिलता है। सहजन की फली की सब्जी खाने से पुराने गठिया, जोड़ों के दर्द, गैस संचय, वात रोगों में लाभ होता है। इसके ताजे पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक होता है और इसकी सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी भी टूटकर निकल जाती है।
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काढ़ा पीने से क्या-क्या फायदे होते हैं
कैंसर और पेट की बीमारियों आदि के दौरान, शरीर में गांठ, फोड़े आदि बनने पर अजवाइन, हींग और सोंठ के साथ सहजन की जड़ का काढ़ा पीने का प्रचलन है। यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका, जोड़ों के दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में भी लाभकारी है। मोरिंगा गोंद को जोड़ों के दर्द में और शहद को दमा आदि बीमारियों में लाभकारी माना जाता है। आज भी ग्रामीण मानते हैं कि मोरिंगा के सेवन से चेचक जैसी वायरल बीमारियों का खतरा टल जाता है।