India News (इंडिया न्यूज), Dry Eye: लगातार आंखों में जलन, खुजली या सूखापन की शिकायत को हल्के में लेना आपकी आंखों की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। यह “ड्राई आई सिंड्रोम” का एक संकेत हो सकता है, जो एक आम लेकिन परेशान कर देने वाली आंखों की समस्या है। जब आंखों में पर्याप्त आंसू नहीं बनते या उनकी गुणवत्ता इतनी खराब होती है कि वे आंखों को नमी नहीं दे पाते, तो यह स्थिति सामने आती है।

क्या है ड्राई आई सिंड्रोम?

ड्राई आई से आंखों की सतह पर सूजन आ सकती है और यह देखने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है। मरीजों को अक्सर आंखों में कुछ चुभने जैसा महसूस होता है, आंखों का लाल होना, दृष्टि धुंधली होना, रोशनी के प्रति संवेदनशीलता, और कभी-कभी बलगम जैसा पदार्थ आंखों के कोनों में जमा होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
यह समस्या खासतौर पर उन लोगों में अधिक पाई जाती है जो लगातार कंप्यूटर स्क्रीन के सामने काम करते हैं या एयर कंडीशनर में ज्यादा समय बिताते हैं। साइकिल चलाते समय या तेज हवा में भी यह समस्या बढ़ सकती है।

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कई बिमारियों के बाद होता है ड्राई आई सिंड्रोम

विशेषज्ञों के अनुसार ड्राई आई की स्थिति उम्र बढ़ने, हार्मोनल बदलाव, कुछ दवाओं के सेवन, एलर्जी, कॉन्टैक्ट लेंस पहनने और कुछ मेडिकल कंडीशन्स जैसे शुगर, रूमेटोइड गठिया या ल्यूपस के कारण हो सकती है। हालांकि इस समस्या का इलाज संभव है। आंखों के विशेषज्ञ से संपर्क करना पहला और जरूरी कदम है, ताकि सही कारण का पता चल सके। यदि सूखी आंख किसी दूसरी बीमारी के कारण हो रही है, तो उस बीमारी का इलाज भी जरूरी है।

कुछ इस तरह कर सकते हैं कण्ट्रोल

लाइफस्टाइल में बदलाव भी ड्राई आई को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। स्क्रीन टाइम को कम करना, समय-समय पर आंखें झपकाना और आंखों को पर्याप्त आराम देना बेहद जरूरी है। कुछ मामलों में डॉक्टर सर्जरी या विशेष आई ड्रॉप्स की सलाह भी देते हैं जो सूजन कम करने और आंसू उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होती हैं। इसके अलावा ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर आहार, जैसे मछली, अलसी के बीज या सप्लीमेंट्स का सेवन ड्राई आई के लक्षणों को कम कर सकता है। बाहर निकलते समय हमेशा सनग्लासेस पहनना चाहिए ताकि तेज हवा और धूप से आंखों को बचाया जा सके।

ठीक होने के बाद भी देखभाल जरुरी

ड्राई आई एक बार ठीक हो जाने के बाद भी इसकी देखभाल में लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें सुधार के लिए निरंतर ध्यान और देखरेख की जरूरत होती है। अगर सही समय पर इलाज और सावधानी बरती जाए, तो इससे जुड़ी असुविधाओं से आसानी से राहत पाई जा सकती है।

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