Cholesterol Symptoms: आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में कोलेस्ट्रॉल लेवल का बढ़ना घटना एक आम सी बात हो गई है। यहां तक कि इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग यह तक नहीं समझ पाते कि कब उनके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ता है और ऐसे में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन कुछ तरीके ऐसे हैं। जिसमें आप चेहरे को देखकर यह पता कर सकते हैं कि आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल बड़ा है या फिर नहीं इससे पहले हम आपको बता दें कि क्या होता है कोलेस्ट्रॉल एक तरह का गंद पदार्थ है जो आपके शरीर फैट, कैलोरी और शुगर को मिलाकर बनता है और खून में जमा हो जाता हैं।

त्वचा का रंग पीला या फिर नारंगी होना

​अमेरिकन अकैडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी के अनुसार अगर आपकी त्वचा के किसी हिस्से पर पीले या फिर नारंगी रंग के निशान बन रहे हैं। तो इसका मतलब है कि आपकी बॉडी में कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ चुका है और आपकी त्वचा में कोलेस्ट्रॉल जम रहा है। इस स्थिति में कोई दर्द नहीं होता बस चेहरे के किसी भी भाग में पीला या फिर नारंगी दाग आ जाता है।

त्वचा पर मोम जैसी गांठ

अगर आपके भी त्वचा के किसी भी भाग में मोम की तरह छोटी छोटी गाठें नजर आ रही हैं। तो यह आपकी बॉडी में कोलेस्ट्रॉल लेवल के बढ़ने का संकेत है। यह गाठें ज्यादातर आंखों के कोने, हथेलिया, पैरों के नीचे या पीठ पर नजर आती है। मेडिकल की भाषा में इसको ज़ैंथोमास कहा जाता हैं।

त्वचा पर नीले या बैंगनी रंग का निशान

कई बार ऐसा होता है कि ठंड लगने की वजह से कुछ लोगों को त्वचा पर नीले या बैंगनी रंग के निशान आ जाते हैं लेकिन वही शरीर के गर्म होने के बाद वह निशान चले जाते हैं। यह निशान आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने का संकेत भी है क्योंकि जब कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से खून ब्लॉक होता है। तो ऐसे निशान त्वचा पर बन जाते हैं।

लिचेन प्लेनस

इस तरह की स्थिति में त्वचा और मुंह के अंदर खुजली के निशान बन जाते हैं। वही रिपोर्ट में माना गया है कि हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल की वजह से ऐसा होता है। स्थिति में पहले चेहरे या फिर त्वचा पर बैंगनी या लाल रंग के धब्बे होते हैं। जिन पर खुजली के बाद ऐसे निशान बन जाते हैं। ज्यादातर यह निशान कलाई, हाथ, पीठ और टखनों पर मौजूद होते हैं।

कोलेस्ट्रॉल कम कैसे करें

शोध के मुताबिक आप अपनी डाइट में कुछ बदलाव करके अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम कर सकते हैं और अपनी ह्रदय समस्या को भी सुधार सकते हैं

  • सैचुरेटेड फैट का सेवन कम करें।
  • ट्रांस फैट को खाना बंद करें।
  • ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरी हुई चीजों का सेवन करें।
  • खाने में फाइबर की मात्रा को बढ़ाऐ।
  • खाने में व्हे प्रोटीन को शामिल करें।

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