India News (इंडिया न्यूज), Japanese Encephalitis: पश्चिमी दिल्ली के बिंदापुर में रहने वाले 72 वर्षीय व्यक्ति को जापानी इंसेफेलाइटिस होने की सूचना मिली है। सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें 3 नवंबर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था। शहर के स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में 13 साल बाद जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) का पहला मामला दर्ज किया।

मस्तिष्क से जुड़ी एक गंभीर बीमारी

यह मच्छरों द्वारा फैलता है, जो आमतौर पर संक्रमित सूअरों या पक्षियों को खाने के बाद मनुष्यों को काटते हैं। यह बीमारी खास तौर पर जलभराव, धान के खेतों या अस्वच्छ स्थितियों वाले क्षेत्रों में प्रचलित है। इन जगहों पर मच्छर तेजी से प्रजनन करते हैं, जिससे बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।

यह बीमारी कैसे फैलती है?

जापानी इंसेफेलाइटिस सीधे तौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। यह मच्छरों द्वारा फैलता है, जो आमतौर पर संक्रमित सूअरों या पक्षियों को खाने के बाद मनुष्यों को काटते हैं। यह बीमारी खास तौर पर जलभराव, धान के खेतों या अस्वच्छ स्थितियों वाले क्षेत्रों में प्रचलित है। इन जगहों पर मच्छर तेजी से पनपते हैं, जिससे बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।

इस बीमारी के लक्षण

तेज़ बुखार: अचानक बहुत तेज़ बुखार।

उल्टी: बार-बार उल्टी या जी मिचलाना।

मानसिक समस्याएँ: कई बार मस्तिष्क में सूजन के कारण बेहोशी, दौरे पड़ना या बोलने और समझने में दिक्कत हो सकती है।

ये लक्षण शुरुआत में मामूली लग सकते हैं, लेकिन बीमारी बढ़ने पर ये गंभीर हो सकते हैं और मरीज़ की जान को ख़तरा हो सकता है।

जापानी इंसेफेलाइटिस से बचाव

मच्छरों से बचाव: मच्छरदानी का इस्तेमाल करें और मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का इस्तेमाल करें।

साफ-सफाई रखें: घर के आसपास पानी जमा न होने दें, ताकि मच्छर पनप न सकें।

टीकाकरण: इस बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। खासकर उन लोगों को वैक्सीन लगवानी चाहिए जो ऐसे इलाकों में रहते हैं जहां इसका खतरा ज्यादा है।