India News (इंडिया न्यूज), Harmful Impacts of Refined: आजकल के अधिकांश घरों में रिफाइंड तेल का उपयोग किया जाता है। इसे ‘हेल्दी’ और ‘लाइट’ के रूप में प्रचारित किया जाता है, लेकिन क्या यह वाकई हमारी सेहत के लिए फायदेमंद है? आयुर्वेद और वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि रिफाइंड तेल हमारी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। वहीं, सरसों का तेल न केवल पारंपरिक बल्कि स्वास्थ्यवर्धक विकल्प भी है। आइए जानते हैं कि रिफाइंड तेल के क्या नुकसान हैं और क्यों सरसों का तेल बेहतर विकल्प है।
रिफाइंड तेल के नुकसान
रिफाइंड तेल को तैयार करने के लिए इसे कई रासायनिक प्रक्रियाओं और उच्च तापमान से गुजारा जाता है। इस प्रक्रिया में तेल के प्राकृतिक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा, इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए कृत्रिम प्रिजर्वेटिव और रसायन मिलाए जाते हैं, जो धीरे-धीरे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
रिफाइंड तेल से होने वाले संभावित नुकसान:
- दिल की बीमारियां: रिफाइंड तेल में ट्रांस फैट और ऑक्सीडाइज़्ड कंपाउंड्स होते हैं, जो रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं और हार्ट अटैक तथा स्ट्रोक का खतरा बढ़ाते हैं।
- मोटापा और डायबिटीज: इसमें मौजूद अनहेल्दी फैट्स और केमिकल्स बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) को बढ़ाते हैं और मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देते हैं। इससे वजन बढ़ता है और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।
- पाचन तंत्र पर असर: यह तेल पचाने में भारी होता है और गैस, एसिडिटी व अपच जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है।
- हॉर्मोनल असंतुलन: रिफाइंड तेल में मौजूद केमिकल्स हॉर्मोन बैलेंस को बिगाड़ सकते हैं, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
सरसों के तेल के फायदे
सरसों का तेल सदियों से भारतीय रसोई में उपयोग होता आ रहा है। यह न केवल भोजन का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाते हैं। आयुर्वेद में इसे कई बीमारियों के इलाज में प्रभावी माना गया है।
सरसों के तेल के स्वास्थ्य लाभ:
- दिल के लिए फायदेमंद: सरसों के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड और हेल्दी मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स होते हैं, जो दिल को स्वस्थ रखते हैं और बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने में मदद करते हैं।
- डायबिटीज और मोटापे से बचाव: यह तेल मेटाबॉलिज्म को तेज करता है और शरीर को हेल्दी फैट्स प्रदान करता है, जिससे वजन नियंत्रित रहता है और डायबिटीज का खतरा कम होता है।
- पाचन सुधारता है: सरसों का तेल पाचन एंजाइम्स को सक्रिय करता है, जिससे भोजन जल्दी और सही तरीके से पचता है। यह भूख बढ़ाने में भी सहायक है।
- एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण: सरसों के तेल में प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल प्रॉपर्टीज होती हैं, जो शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करती हैं।
- सर्दी-खांसी में राहत: सरसों के तेल की मालिश करने से सर्दी, खांसी और जकड़न से राहत मिलती है। गर्म तेल में लहसुन डालकर मालिश करने से तुरंत आराम मिलता है।
- त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद: यह तेल त्वचा को मॉइस्चराइज करता है और बालों को मजबूत व घना बनाता है।
रिफाइंड तेल बनाम सरसों का तेल: आपका निर्णय
अब जब आप जान गए हैं कि रिफाइंड तेल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है और सरसों का तेल इसके मुकाबले बेहतर विकल्प है, तो अपने किचन में बदलाव करना जरूरी है।
सरसों के तेल का उपयोग कैसे करें:
- खाने में शामिल करें: सब्जी, दाल और पराठे बनाने के लिए सरसों के तेल का उपयोग करें।
- संतुलित मात्रा में लें: किसी भी तेल का अत्यधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसे सीमित मात्रा में ही इस्तेमाल करें।
- शुद्ध और कोल्ड-प्रेस्ड तेल चुनें: केमिकल-मुक्त और ऑर्गेनिक सरसों का तेल स्वास्थ्य के लिए अधिक फायदेमंद होता है।
रिफाइंड तेल की जगह सरसों का तेल न केवल एक स्वस्थ विकल्प है, बल्कि यह आपकी पारंपरिक जीवनशैली को भी पुनर्जीवित करता है। अपने और अपने परिवार की सेहत का ख्याल रखते हुए आज ही सरसों के तेल को अपने भोजन में शामिल करें।
Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।