India News (इंडिया न्यूज़), kalmegh Plant Benefits: मॉनसून का मौसम चल रहा है। ऐसे में बीमारियां होना भी लाजमी है। बिमारियों ने हर तरफ अपना हमला बोल दिया है। लगभग हर घर के एक स्दस्य में बुखार और सर्दी के लक्षण देखें गए हैं। वहीं देश में मलेरिया और टाइफाइड के मामले लगातार भी बढ़ रहे हैं। कई बार लंबे समय तक बुखार रहना किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। ऐसे में कई लोग डॉक्टर के पास भागते हैं। लेकिन, झारखंड के आदिवासी ऐसी स्थिति में डॉक्टरर्स के पास जाने की बजाय कुछ और तरीका अपनाते हैं।
- इस तरह इलाज करते हैं आदिवासी
- काल मेघ के इस्तेमाल का सही तरीका
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इस तरह इलाज करते हैं आदिवासी
बता दें की टाइफाइड-मलेरिया जैसी बिमारी से लड़ने के लिए झारखंड के आदिवासी, जंगल में पाए जाने वाले एक पौधे का इस्तेमाल करते हैं और बुखार से राहत पाते हैं। यह चमत्कार वहां के जंगलों में पाए जाने वाले एक पौधे की वजह से मुमकिन हैं जो की काल मेघ नामक पौधे का है, जिसे ग्रामीण भाषा में चिरैता भी कहते हैं।
इस पौध से बुखार, टाइफाइड, मलेरिया जैसी बीमारियों को ठीक करने में कारगर माना जाता है। आदिवासी काफी समय से जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कर कई तरह की गंभीर बीमारियों का इलाज करते आ रहे हैं।
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काल मेघ के इस्तेमाल का सही तरीका
पलामू के रहने वालें लोगों का कहना है की उन्होंने अपने खेत में हर तरह के इलाज के लिए जड़ी-बूटी लगाई है उन्होंने आगे बताया कि इसका इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले सुबह काल मेघ के पौधे की पत्तियों को पीस लिया जाता है। इसके बाद रोगी को खाली पेट इसका सेवन कराया जाता है। तीन दिन तक लगातार इसका इस्तेमाल करने से किसी भी तरह का बुखार ठीक हो जाता है। उन्होंने बताया कि इसकी पत्तियों में इतने गुण होते हैं कि ये सालों पुराने बुखार को भी ठीक कर सकती हैं।
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