India News (इंडिया न्यूज़), Nipah Virus, दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को पुष्टि की कि केरल के कोझिकोड जिले में दो मौतें निपाह वायरस के कारण हुई हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वर्तमान में निपाह वायरस से संक्रमित होने के संदेह वाले चार मरीज निगरानी में हैं और उनके नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए हैं।

मंडाविया ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, स्थिति का जायजा लेने और निपाह वायरस प्रबंधन में राज्य सरकार की सहायता के लिए एक केंद्रीय टीम केरल भेजी गई है। यह वायरस चमगादड़ से फैला है। इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एक गाइडलाइन तैयार की गई है, ताकि हम सावधानी बरतें। पहली मौत 30 अगस्त को हुई और दूसरी मौत 11 सितंबर को हुई।

2018 में हुआ था प्रकोप

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार कोझिकोड से हुई दो मौतों को गंभीरता से ले रही है। 2018 में कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों में निपाह का प्रकोप हुआ था और बाद में 2021 में कोझिकोड में निपाह का एक मामला सामने आया था।

क्या है निपाह वायरस?

निपाह वायरस (NiV) एक ज़ूनोटिक वायरस है, जिसका अर्थ है कि यह जानवरों और लोगों के बीच फैल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, निपाह वायरस फल वाले चमगादड़ों के कारण होता है और यह मनुष्यों के साथ-साथ जानवरों के लिए भी संभावित रूप से घातक है।

निपाह वायरस को सूअरों और लोगों में बीमारी पैदा करने के लिए भी जाना जाता है। NiV का संक्रमण एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) से जुड़ा है और इससे हल्की से लेकर गंभीर बीमारी और यहां तक ​​कि मृत्यु भी हो सकती है। ‘निपाह’ नाम एक मलेशियाई गांव के नाम पर रखा गया है, जहां 1998-1999 में पहली बार इसका प्रकोप सामने आया था।

1999 में खोजा गया

निपाह वायरस पहली बार 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में सूअरों और लोगों में बीमारी फैलने के बाद खोजा गया था। इस प्रकोप के कारण लगभग 300 मानव मामले और 100 से अधिक मौतें हुईं। उस समय, सूअर इस वायरस के मेजबान थे लेकिन माना जाता है कि उन्होंने इसे चमगादड़ों से पकड़ा था। भारत में यह बीमारी पहली बार 2001 में और फिर छह साल बाद रिपोर्ट की गई थी, दोनों प्रकोपों ​​के कारण 50 लोगों की जान चली गई थी।

निपाह वायरस कैसे फैलता है

यह वायरस संक्रमित फल चमगादड़ों के माध्यम से लोगों और सूअरों जैसे अन्य जानवरों में फैल सकता है। यदि लोग किसी संक्रमित जानवर या उसके शरीर के तरल पदार्थ, जैसे लार या मूत्र, के निकट संपर्क में आते हैं तो वे संक्रमित हो सकते हैं। एक बार जब यह लोगों में फैल जाता है, तो यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है।

क्या है लक्ष्ण?

निपाह संक्रमण से श्वसन संबंधी समस्याओं से लेकर घातक एन्सेफलाइटिस यानी मस्तिष्क में सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। निपाह संक्रमण की ऊष्मायन अवधि 4 से 21 दिनों तक होती है। इसके मुख्य लक्षण है मध्यम से उच्च श्रेणी का बुखार, सिरदर्द, उल्टी करना, खाँसी, सांस फूलना व्यवहार/सेंसोरियम में परिवर्तन, दौरे/असामान्य हलचल, मायलगिया या मांसपेशियों में दर्द और थकान।

क्या है सावधानियां?

निपाह वायरस के संक्रमण को उन क्षेत्रों में बीमार सूअरों और चमगादड़ों के संपर्क में आने से बचाकर रोका जा सकता है जहां वायरस मौजूद है, और कच्चे खजूर का रस नहीं पीना चाहिए जो संक्रमित चमगादड़ द्वारा दूषित हो सकता है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा सुझाए गए कुछ उपाय यह है।

  • नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोएं।
  • बीमार चमगादड़ों या सूअरों के संपर्क से बचें।
  • उन क्षेत्रों से बचें जहां चमगादड़ मौजूद हैं।
  • ऐसे उत्पाद खाने या पीने से बचें जो चमगादड़ द्वारा दूषित हो सकते हैं जैसे कच्चे खजूर का रस, कच्चे फल या जमीन पर पाए जाने वाले फल।
  • NiV से संक्रमित ज्ञात किसी भी व्यक्ति के रक्त या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क से बचें।

ऐसे करें इलाज

निपाह वायरस संक्रमण का उपचार ज्यादातर सहायक देखभाल और तीव्र एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम के प्रबंधन तक ही सीमित है। WHO के अनुसार, निपाह के लिए विशिष्ट कोई दवा या टीका उपलब्ध नहीं है।

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