India News (इंडिया न्यूज), Microplastic Found In Human Brain: दुनियाभर में तेजी से बढ़ती गंभीर और क्रोनिक बीमारियां वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बनती जा रही हैं। गड़बड़ होती दिनचर्या और पर्यावरणीय स्थितियों के साथ, जानलेवा बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है। हाल के वर्षों में, माइक्रोप्लास्टिक और इसके कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं ने वैश्विक चिंता को और गहरा कर दिया है। न्यू मैक्सिको यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक अध्ययन में इस समस्या की गंभीरता को उजागर किया गया है।

माइक्रोप्लास्टिक का मस्तिष्क में प्रवेश

न्यू मैक्सिको यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में किए गए शोध के अनुसार, मानव मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति पाई गई है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि माइक्रोप्लास्टिक ब्लड-ब्रेन बैरियर को प्रभावित कर सकता है। यह बैरियर रक्त और मस्तिष्क के बीच एक झिल्ली के रूप में कार्य करता है और मस्तिष्क को हानिकारक तत्वों से बचाता है। शोध में पाया गया कि लिवर और किडनी की तुलना में मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक की सांद्रता कहीं अधिक थी। यह स्थिति भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती है।

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पिछले अध्ययनों के नतीजे

शोधकर्ताओं ने इससे पहले लिवर, किडनी, प्लेसेंटा, रक्त, ब्रेस्ट मिल्क और यहां तक कि धमनियों में भी माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति का पता लगाया था। इन धमनियों से रक्त हृदय और मस्तिष्क तक पहुंचता है, जिससे दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। 2024 के अध्ययन में यह भी पाया गया कि 2016 के मुकाबले 2024 में मृत्यु प्राप्त व्यक्तियों के मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक का स्तर लगभग 50% अधिक था।

माइक्रोप्लास्टिक से जुड़ी बीमारियां

  1. डिमेंशिया और अल्जाइमर: माइक्रोप्लास्टिक के कारण मस्तिष्क की संरचना में बदलाव हो सकता है। यह डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकता है। शोध में यह भी पाया गया कि डिमेंशिया पीड़ितों के मस्तिष्क में स्वस्थ लोगों की तुलना में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति छह गुना अधिक थी।
  2. दिल का दौरा और स्ट्रोक: माइक्रोप्लास्टिक के कारण हृदय और मस्तिष्क के बीच रक्त प्रवाह में रुकावट आ सकती है। इससे दिल का दौरा और स्ट्रोक का जोखिम 4.5 गुना तक बढ़ सकता है।
  3. अन्य स्वास्थ्य समस्याएं: माइक्रोप्लास्टिक प्लाक बिल्डअप में पाया गया है, जो हृदय और मस्तिष्क को रक्त पहुंचाने वाली धमनियों को बाधित कर सकता है। इससे मृत्यु का खतरा भी बढ़ सकता है।

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भविष्य के लिए चिंताएं

1997 से 2024 के बीच किए गए अध्ययनों से स्पष्ट है कि प्लास्टिक के सूक्ष्म कण मानव शरीर के विभिन्न अंगों में जमा हो रहे हैं। लिवर और किडनी में पाए जाने वाले माइक्रोप्लास्टिक के अलावा मस्तिष्क में इसकी बढ़ती सांद्रता लंबे समय तक गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है।

वैज्ञानिकों की राय

न्यू मैक्सिको यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मैथ्यू कैम्पेन ने कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि इंसानों में माइक्रोप्लास्टिक का स्तर इतना अधिक हो सकता है। यह न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य संकट का संकेत भी है।” अंतरराष्ट्रीय जर्नल नेचर मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन ने भी इस विषय पर गंभीरता से विचार करने का आह्वान किया है।

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समाधान की दिशा में प्रयास

वैज्ञानिकों का मानना है कि माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

  • प्लास्टिक का सीमित उपयोग: प्लास्टिक उत्पादों के उपयोग को कम करना और उनके विकल्पों को अपनाना जरूरी है।
  • रीसाइक्लिंग और अपशिष्ट प्रबंधन: प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन में सुधार करना और माइक्रोप्लास्टिक के उत्पादन को नियंत्रित करना अनिवार्य है।
  • जागरूकता बढ़ाना: आम जनता को माइक्रोप्लास्टिक के खतरों के बारे में शिक्षित करना और उन्हें स्वच्छ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

माइक्रोप्लास्टिक का मानव मस्तिष्क में प्रवेश और उसके स्वास्थ्य पर प्रभाव चिंता का विषय है। इससे न केवल दिल और मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है, बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं। यह समय है कि हम प्लास्टिक के उपयोग को नियंत्रित करें और एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाएं।

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