India News (इंडिया न्यूज), Nature Communications Report: जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान का असर अब केवल पर्यावरण या जलवायु तक सीमित नहीं रहा। यह इंसानों की दिनचर्या और स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है। हाल ही में ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ में प्रकाशित एक शोध ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि बढ़ता तापमान इंसानों की नींद को भी प्रभावित कर रहा है। 2099 तक, जलवायु परिवर्तन के कारण हर व्यक्ति की नींद में सालाना 33.28 घंटे तक की कमी हो सकती है। यह मानव स्वास्थ्य और कार्यक्षमता के लिए गंभीर खतरा है।

शोध का विवरण

इस अध्ययन में चीन के 2,14,445 लोगों पर शोध किया गया। शोधकर्ताओं ने 2.3 करोड़ दिनों की नींद से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया। इसके नतीजे बताते हैं कि तापमान में 10 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने पर इंसानों की नींद की कुल अवधि में 20.1 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है।

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प्रमुख निष्कर्ष:

  1. नींद की अवधि में कमी: यदि तापमान 10 डिग्री सेल्सियस बढ़ता है, तो नींद की अवधि में 9.67 मिनट की कमी आ सकती है।
  2. गहरी नींद में गिरावट: गहरी नींद में 2.82 प्रतिशत तक की गिरावट हो सकती है।
  3. विशेष रूप से संवेदनशील समूह: अधिक उम्र के लोगों, महिलाओं और मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ेगा।

नींद और तापमान के बीच संबंध

अध्ययन में यह भी पाया गया कि गर्म और नम दिनों में नींद कम आती है, जबकि ठंडे मौसम और बारिश के दौरान अच्छी नींद का अनुभव होता है। अधिक तापमान से निम्नलिखित प्रभाव देखे गए:

  1. नींद देर से आना: अधिक तापमान के कारण लोग देर से सोते हैं।
  2. जल्दी जागना: गर्मी में लोग सामान्य से जल्दी उठ जाते हैं।
  3. थकान और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं: नींद की कमी के कारण थकान और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

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वैश्विक आंकड़ों की स्थिति

अमेरिका, चीन और ब्रिटेन जैसे देशों में सामान्य आबादी में नींद की खराब गुणवत्ता देखी गई है। हर तीन में से एक व्यक्ति कम नींद की समस्या से ग्रस्त है। यह आंकड़े बताते हैं कि नींद संबंधी समस्याओं की पहचान और समाधान पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

तापमान में 10 डिग्री वृद्धि के परिणाम:

  • नींद की अवधि में 20.1 प्रतिशत कमी।
  • गहरी नींद में 2.82 प्रतिशत की गिरावट।
  • नींद की कुल अवधि में 9.67 मिनट की कमी।
  • महिलाओं और बुजुर्गों पर अधिक प्रभाव।

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समाधान और सुझाव

जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न इस समस्या का सामना करने के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक उपाय आवश्यक हैं:

  1. शीतलन उपाय: घरों और कार्यस्थलों में तापमान नियंत्रित करने के लिए एसी या कूलिंग उपकरणों का उपयोग करें।
  2. ग्रीन टेक्नोलॉजी: ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन कम करने वाली तकनीकों को अपनाएं।
  3. नींद की आदतें सुधारें: सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम करें और सोने के लिए एक नियमित समय निर्धारित करें।
  4. शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान: योग और ध्यान जैसे अभ्यासों से तनाव कम करें और नींद को बेहतर बनाएं।

जलवायु परिवर्तन न केवल पर्यावरणीय संतुलन को बिगाड़ रहा है, बल्कि इंसानों की नींद और स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहा है। इस समस्या का समाधान खोजने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। गहरी नींद को बनाए रखना न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, बल्कि यह जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार लाता है।

यह समय है कि हम जलवायु परिवर्तन के इस खतरे को गंभीरता से लें और इसके प्रभावों को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठाएं।

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