India News (इंडिया न्यूज), Heart Attack: आजकल युवाओं में हार्ट अटैक के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हो रही है, और यह स्थिति स्वास्थ्य विशेषज्ञों को गंभीर चिंता में डाल रही है। हाल ही में इटली के शोधकर्ताओं ने एक नया खुलासा किया है, जो इस बढ़ते खतरे का कारण माइक्रोप्लास्टिक को मानते हैं। शोध के अनुसार, जिन लोगों के शरीर में माइक्रोप्लास्टिक पाया जाता है, उनमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक और अन्य कार्डियोवैस्कुलर समस्याओं से मौत का खतरा लगभग चार गुना अधिक होता है।

माइक्रोप्लास्टिक का शरीर में प्रवेश

माइक्रोप्लास्टिक, जैसा कि नाम से पता चलता है, प्लास्टिक के सूक्ष्म कण होते हैं, जो बहुत छोटे होते हैं और हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी के विभिन्न हिस्सों में पाए जाते हैं। यह कण प्लास्टिक की बोतलों, पैकिंग सामग्री, और यहां तक कि हवा के माध्यम से भी हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। जब ये माइक्रोप्लास्टिक कण शरीर में घुस जाते हैं, तो ये रक्त वाहिकाओं में जमा होने लगते हैं, और कैल्शियम तथा खराब कोलेस्ट्रॉल के साथ मिलकर धमनियों में क्लॉट्स (रक्त के थक्के) बना सकते हैं। इससे रक्त के प्रवाह में रुकावट आती है, जो अंततः हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।

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इटली के शोध का परिणाम

इटली में हुए एक अध्ययन में 18 से 75 वर्ष के 275 व्यक्तियों को शामिल किया गया था। इन लोगों में से 150 व्यक्तियों के शरीर में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया, खासकर उनके इम्यून सिस्टम में। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन व्यक्तियों के शरीर में माइक्रोप्लास्टिक था, उनके इम्यून सेल्स में सूजन के मार्कर (Inflammation markers) बढ़े हुए थे। अध्ययन के परिणाम स्वरूप, इन व्यक्तियों में हार्ट अटैक, स्ट्रोक, और अन्य कारणों से मौत का खतरा 4.53 गुना ज्यादा पाया गया।

हार्ट अटैक के बाद क्या करें?

युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक के मामलों को देखते हुए डॉक्टरों ने फर्स्ट एड के तौर पर कुछ आवश्यक दवाएं और कदम सुझाए हैं। रांची के न्यूरो और स्पाइन सर्जन डॉक्टर विकास के मुताबिक, अगर किसी को हार्ट अटैक आता है, तो सबसे पहले उसे सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) देना चाहिए। इसके बाद, पीड़ित के मुंह में डिस्प्रिन, सॉर्बिट्रेट (Sorbitrate), अटोर्वा (Atorvastatin) और क्लॉपिडोग्रेल (Clopidogrel) की गोलियाँ डालनी चाहिए। ये दवाएं इमरजेंसी ड्रग्स के रूप में घर पर रखनी चाहिए, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत इस्तेमाल किया जा सके।

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माइक्रोप्लास्टिक से बचाव के उपाय

माइक्रोप्लास्टिक से बचाव के लिए विशेषज्ञों का कहना है कि हमें अपनी दैनिक आदतों में बदलाव करना चाहिए। खासकर प्लास्टिक के सामान का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए। किचन में प्लास्टिक की चीजें जैसे बॉटल्स, प्लेट्स, गिलास और अन्य सामान को हटाकर उनकी जगह कांच या स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल करें। यह कण हमारे शरीर में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन इन्हें शरीर से बाहर निकालना आसान नहीं है।

कुछ विशेषज्ञों का यह भी सुझाव है कि शरीर को डिटॉक्स करने के लिए पसीना बहाने की प्रक्रिया, जैसे कि सॉना बाथ, ली जानी चाहिए। यह शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।

हमारे स्वास्थ्य के लिए यह बेहद जरूरी है कि हम अपने शरीर को दूषित पदार्थों से बचाएं और सही जीवनशैली अपनाएं। माइक्रोप्लास्टिक का प्रभाव न केवल हमारी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि यह दिल और नसों की समस्याओं को भी जन्म दे सकता है। इससे बचने के लिए हमें प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए और प्राकृतिक उपायों को अपनाना चाहिए। हमेशा किसी भी इलाज से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लेना बेहद महत्वपूर्ण है।

युवाओं में हार्ट अटैक और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए समय रहते कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है।

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