India News (इंडिया न्यूज), Short Videos and Instagram Reels: आज के डिजिटल युग में, शॉर्ट वीडियो और इंस्टाग्राम रील्स जैसे कंटेंट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पूरी तरह से अपना दबदबा बना लिया है। यह कंटेंट इतना आकर्षक होता है कि एक बार देखने के बाद रुकना मुश्किल हो जाता है, और अनजाने में ही लोग घंटों स्क्रीन पर बिता देते हैं। हालांकि, इस आदत के गंभीर मानसिक और भावनात्मक परिणाम हो सकते हैं। आइए जानें कि रील्स देखने का हमारे दिमाग पर क्या असर होता है और इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है।

रील्स का दिमाग पर प्रभाव:-

 

1. ध्यान और याददाश्त पर असर

अत्यधिक रील्स देखने से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम हो जाती है। दिमाग को लगातार नई जानकारी प्रोसेस करनी पड़ती है, जिससे वह थक जाता है और याददाश्त कमजोर होने लगती है। बच्चों के मामले में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है। स्क्रीन का अधिक उपयोग बच्चों की सोचने और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है।

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2. भावनाओं पर प्रभाव

शॉर्ट वीडियो का कंटेंट तेजी से बदलता है, जिससे हमारी भावनाओं में भी उतार-चढ़ाव होता है। एक वीडियो में खुशी और अगली ही वीडियो में गुस्सा या दुःख जैसे अनुभव हमारे मस्तिष्क के अमिग्डाला पर प्रभाव डालते हैं। यह भावनात्मक अस्थिरता का कारण बन सकता है।

3. नींद और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

रील्स देखने की लत नींद की कमी (इनसोम्निया) का कारण बन सकती है। रात में वीडियो देखने से दिमाग सक्रिय रहता है, जिससे चैन की नींद लेना मुश्किल हो जाता है। नींद की कमी से चिड़चिड़ापन, थकान और तनाव जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

4. धैर्य की कमी

लगातार वीडियो स्क्रॉल करने से दिमाग एक तेज गति वाले पैटर्न का आदी हो जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि व्यक्ति धैर्यपूर्वक किसी भी कार्य को करने में असमर्थ हो जाता है।

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बचाव के उपाय

1. अनुशासन बनाएं

रील्स देखने के लिए समय निर्धारित करें। सोशल मीडिया का उपयोग एक निश्चित अवधि तक ही करें। अनुशासन बनाए रखने से ध्यान भटकने की समस्या कम हो सकती है।

2. काम का कंटेंट चुनें

रील्स देखने का उद्देश्य स्पष्ट रखें। उपयोगी और ज्ञानवर्धक कंटेंट को प्राथमिकता दें और बेवजह के वीडियो देखने से बचें।

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3. डिजिटल डिवाइस का सीमित उपयोग

विशेष रूप से बच्चों के लिए स्क्रीन समय को सीमित करें। उन्हें सोचने और खेलने के लिए गैर-डिजिटल गतिविधियों में शामिल करें।

4. सोशल मीडिया डिटॉक्स

समय-समय पर सोशल मीडिया से ब्रेक लें। यह आपके मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है।

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5. स्क्रीन का उपयोग नियंत्रित करें

रात में स्क्रीन का उपयोग कम करें। सोने से पहले किताबें पढ़ने या ध्यान (मेडिटेशन) करने जैसी आदतें विकसित करें।

शॉर्ट वीडियो और रील्स देखने की आदत हमारे ध्यान, याददाश्त और भावनात्मक संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। हालांकि, सही अनुशासन और सीमित उपयोग से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। बच्चों के मामले में यह सुनिश्चित करना और भी अधिक महत्वपूर्ण है कि वे स्वस्थ मानसिक विकास के लिए स्क्रीन से दूरी बनाएं। याद रखें, सोशल मीडिया एक उपकरण है; इसे उपयोगी बनाए रखना हमारे हाथ में है।

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