India News (इंडिया न्यूज), Reetha Benefits: आयुर्वेद में रीठा (अरेठा) को एक चमत्कारी औषधि माना जाता है, जो 55 से ज़्यादा बीमारियों के इलाज में फ़ायदेमंद साबित होती है. एक अध्ययन में रीठा का इस्तेमाल 100 लोगों पर किया गया, जिसमें से 90% लोगों को फ़ायदा मिला। रीठा ख़ास तौर पर बवासीर के इलाज में काफ़ी कारगर माना जाता है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक इसे ख़ास तरीके से बनाकर सेवन करने से बवासीर को सिर्फ़ सात दिनों में जड़ से खत्म किया जा सकता है।
कैसे तैयार करें रीठा की दवा?
इस दवा को बनाने के लिए रीठा के फलों से बीज निकालकर लोहे की कड़ाही में तब तक गर्म करें जब तक कि वे कोयले की तरह जलने न लगें. इसके बाद इसे ठंडा करके इसमें बराबर मात्रा में पपड़िया कत्था मिलाकर बारीक़ चूर्ण बना लें। इस तरह से तैयार किए गए चूर्ण को सूती कपड़े से छानकर इस्तेमाल के लिए रख सकते हैं।
कैसे करें सेवन?
इस चूर्ण को एक रत्ती (125 मिलीग्राम) सुबह-शाम मक्खन या मलाई के साथ सेवन करें। लगातार सात दिनों तक सेवन करने से बवासीर की खुजली, रक्तस्राव और दर्द जैसी समस्याएं पूरी तरह से ठीक हो जाती हैं। अगर रोगी इस समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहता है, तो वह हर छह महीने बाद फिर से इस दवा का सेवन कर सकता है।
नमक से दूर रहें
इस दवा का सेवन करते समय सात दिनों तक नमक का सेवन पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए। आयुर्वेद में आहार को दवा से ज्यादा कारगर माना जाता है, इसलिए कुछ खास तरह के खाद्य पदार्थों का ही सेवन करना चाहिए।
क्या खाएं और क्या न खाएं?
निर्धारित आहार
मूंग या चने की दाल, कुलथी की दाल, सांठी चावल, बथुआ, परवल, तुरई, करेला, कच्चा पपीता, गुड़, दूध, घी, मक्खन, काला नमक, सरसों का तेल, सोंठ आदि।
इनसे बचें
उड़द की दाल, घी, बीन्स, भारी और तला हुआ खाना, लौकी, अधिक धूप, गर्मी, लंबे समय तक बैठे रहना, साइकिल चलाना, संभोग और सख्त सीट पर बैठना।
रीठा के 55 अद्भुत फायदे
बवासीर
- रीठा के छिलके को पीसकर दूध में मिलाकर बेर के आकार की गोलियां बना लें और नमक रहित छाछ के साथ सुबह-शाम 1-1 गोली लें।
- रीठा के जले हुए छिलके की राख में सफेद कत्था मिलाकर सुबह पानी के साथ सेवन करें।
पाचन और पेट की समस्याएं
- 4 ग्राम रीठा को 250 मिली पानी में उबालें और झाग आने तक गर्म करें। यह मिश्रण पेचिश (दस्त) के इलाज में कारगर है।
- रीठा का चूर्ण पानी में मिलाकर पीने से पेट दर्द और कब्ज से राहत मिलती है।
महिलाओं की समस्याएँ
- रीठा के छिलके का चूर्ण 2 ग्राम शहद के साथ लेने से मासिक धर्म की अनियमितता में लाभ होता है।
- मासिक धर्म बंद होने पर रीठा का चूर्ण शहद में मिलाकर बत्ती बनाकर योनि में रखने से बंद मासिक धर्म फिर से शुरू हो जाता है।
- रीठा, आंवला और शिकाकाई का मिश्रण बालों को चमकदार और मजबूत बनाता है।
- रीठा का तेल लगाने से दाद, खुजली, चकत्ते और फोड़े-फुंसी जैसी त्वचा संबंधी समस्याएँ ठीक होती हैं।
- रीठा के पानी से सिर धोने से रूसी दूर होती है।
- कान में मैल होने पर रीठा का पानी डालने से मैल आसानी से निकल जाता है।
- रीठा और कश्मीरी पत्ते को पीसकर नाक से सूंघने से जुकाम से राहत मिलती है।
- रीठा को पानी में उबालकर पलकों पर रखने से आंखों के रोग दूर होते हैं।
- रीठा का पानी नाक में डालने से रतौंधी में आराम मिलता है।
- गठिया और जोड़ों का दर्द:
- गठिया के दर्द पर रीठा का लेप लगाने से आराम मिलता है।
- रीठा और त्रिकुटा चूर्ण को पानी में मिलाकर नाक में डालने से सिर दर्द में आराम मिलता है।
अन्य रोगों में रीठा फायेदमंद
- मिर्गी के रोगी को रीठा सूंघने से बेहोशी दूर होती है।
- पीलिया में रीठा का पानी पीना लाभकारी होता है।
- रीठा और पपीता मिलाकर खाने से शरीर की ताकत बढ़ती है।
- नाक में रीठा डालने से दमा और ब्रोंकाइटिस में आराम मिलता है।
- पायरिया रोग में रीठा और फिटकरी को मिलाकर टूथपेस्ट करने से मसूड़े मजबूत होते हैं।
क्या है विशेषज्ञों की राय?
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार रीठा एक बहुत शानदार जड़ी बूटी है, जो कई बीमारियों के इलाज में कारगर साबित हुई है। हालांकि, हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है, इसलिए इसका इस्तेमाल करने से पहले किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है। रीठा सिर्फ एक हर्बल शैम्पू नहीं है, बल्कि आयुर्वेद में संजीवनी बूटी की तरह काम करता है। बवासीर से लेकर पाचन, त्वचा, बाल और कई गंभीर बीमारियों में इसका इस्तेमाल कारगर साबित हुआ है। अगर सही मात्रा और तरीके से इसका सेवन किया जाए तो यह प्राकृतिक औषधि कई स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान हो सकती है। हालांकि, इसका इस्तेमाल शुरू करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहतर होगा।