India News (इंडिया न्यूज), Selective Serotonin Reuptake Inhibitor: आजकल के तनावपूर्ण जीवन में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं आम हो गई हैं, और डिप्रेशन उन समस्याओं में से एक प्रमुख है। इसी कारण, डिप्रेशन के इलाज के लिए दवाओं का इस्तेमाल बढ़ गया है। इनमें से एक प्रमुख वर्ग है सिलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इनहिबिटर (SSRI) दवाएं, जिनका उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है। हालांकि, हाल ही में अमेरिकी हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज मंत्री रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर द्वारा इस दवा को लेकर किए गए एक बयान ने एक नई बहस को जन्म दिया है। उनके मुताबिक, डिप्रेशन की दवाओं को छोड़ना कुछ लोगों के लिए हेरोइन छोड़ने से भी ज्यादा कठिन हो सकता है। इस लेख में हम समझेंगे कि क्यों यह दवाएं खतरनाक हो सकती हैं और इनके साइड इफेक्ट्स क्या हो सकते हैं।
SSRI दवाएं और उनका बढ़ता इस्तेमाल
SSRI दवाएं, जैसे कि पैरोक्सेटाइन, फ्लूवोक्सामाइन, सेर्ट्रालीन और फ्लुओक्सेटीन, मुख्य रूप से डिप्रेशन, एंजाइटी और अन्य मानसिक विकारों के इलाज के लिए दी जाती हैं। ये दवाएं मस्तिष्क में सेरोटोनिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर को प्रभावित करती हैं, जो मूड को नियंत्रित करने में मदद करता है। हालांकि इन दवाओं से कई लोगों को राहत मिलती है, कुछ मामलों में इनके साइड इफेक्ट्स गंभीर हो सकते हैं।
“SSRI छोड़ने का सिंड्रोम” – क्या है यह?
एक्सपर्ट्स के अनुसार, जब लोग SSRI दवाएं अचानक से छोड़ देते हैं, तो उन्हें एक गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है जिसे “SSRI छोड़ने का सिंड्रोम” कहा जाता है। यह सिंड्रोम शरीर में सेरोटोनिन की कमी के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप शारीरिक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस सिंड्रोम के लक्षणों में चक्कर आना, सिरदर्द, थकान, और जी मिचलाना शामिल हो सकते हैं। यह स्थिति कुछ लोगों के लिए अत्यधिक दर्दनाक और निराशाजनक हो सकती है।
डिप्रेशन की दवाएं क्यों खतरनाक हो सकती हैं?
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दवाओं का अचानक बंद होना: एक्सपर्ट्स का कहना है कि SSRI दवाओं को अचानक से छोड़ने पर शरीर में सेरोटोनिन की कमी हो जाती है, जिससे SSRI छोड़ने का सिंड्रोम उत्पन्न होता है। यह स्थिति शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से समस्याएं पैदा कर सकती है।
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दीर्घकालिक उपयोग और परिणाम: जिन लोगों ने लंबी अवधि तक इन दवाओं का उपयोग किया है, उन्हें दवा छोड़ने में और भी कठिनाई हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि पैरोक्सेटाइन और फ्लूवोक्सामाइन जैसी दवाएं लगभग 7% लोगों में इस सिंड्रोम का कारण बन सकती हैं, जबकि सेर्ट्रालीन और फ्लुओक्सेटीन जैसी दवाओं से केवल 2% लोगों को इसका सामना होता है। हालांकि, इन दवाओं को अचानक छोड़ने से 40% लोगों में यह सिंड्रोम हो सकता है।
डिप्रेशन की दवा और हेरोइन छोड़ने में क्या समानता है?
रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर के बयान ने यह सवाल उठाया है कि डिप्रेशन की दवाओं को छोड़ना, हेरोइन जैसी मादक पदार्थों को छोड़ने से ज्यादा कठिन क्यों हो सकता है। हेरोइन एक नशे की दवा है, जो म्यू ओपिओइड रिसेप्टर्स को सक्रिय करती है और दर्द को कम करती है। जब हेरोइन का सेवन अचानक बंद होता है, तो तनाव, दस्त, पेट में ऐंठन, बुखार जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यही समस्याएं डिप्रेशन की दवाओं को छोड़ने के बाद भी उत्पन्न हो सकती हैं, हालांकि हेरोइन की लत और इसके प्रभाव के कारण इसे छोड़ना अधिक कठिन हो सकता है।
डिप्रेशन की दवाएं और हेरोइन छोड़ने के लक्षणों में अंतर
हालांकि डिप्रेशन की दवाओं को छोड़ने के लक्षण कई बार सामान्य होते हैं और समय के साथ ठीक हो सकते हैं, फिर भी यह प्रक्रिया हेरोइन छोड़ने के मुकाबले कम कठिन नहीं होती। हेरोइन छोड़ने के लक्षण लंबे समय तक शरीर में बने रहते हैं और मानसिक, शारीरिक प्रभावों को और भी बढ़ा सकते हैं। जबकि SSRI दवाओं को छोड़ने पर लक्षण समय के साथ कम हो सकते हैं, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह अनुभव काफी कठिन हो सकता है।
डिप्रेशन की दवाओं का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य के उपचार में सहायक हो सकता है, लेकिन इनका सही तरीके से उपयोग और छोड़ने की प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण है। SSRI छोड़ने का सिंड्रोम एक गंभीर समस्या हो सकती है, जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यदि आप भी इन दवाओं का सेवन कर रहे हैं और उन्हें छोड़ने का विचार कर रहे हैं, तो डॉक्टर की सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है। बिना डॉक्टर की निगरानी के इन दवाओं को छोड़ना आपकी मानसिक और शारीरिक स्थिति को और बिगाड़ सकता है।
यह लेख यह संदेश देता है कि मानसिक स्वास्थ्य के इलाज के लिए सही दवाओं का चयन और उनकी सही विधि से खपत करना अत्यधिक आवश्यक है। हर व्यक्ति की प्रतिक्रिया अलग हो सकती है, और दवाओं को छोड़ने के दौरान सावधानी और पेशेवर मार्गदर्शन जरूरी है।
Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।