India News (इंडिया न्यूज), Symptoms of Depression: एक नए शोध में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। पुराने दर्द से पीड़ित लगभग 40% लोगों में चिंता या अवसाद जैसी बीमारियाँ पाई गई हैं। यह विशेष रूप से महिलाओं, युवाओं और फाइब्रोमायल्जिया जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए चिंता का विषय है। फाइब्रोमायल्जिया में शरीर में दर्द महसूस करने का तरीका बदल जाता है। शोध से पता चला है कि महिलाओं, युवाओं और पुराने दर्द से पीड़ित लोगों में अवसाद और चिंता विकसित होने का जोखिम अधिक होता है। हार्मोनल परिवर्तन और अधिक भावुक होने के कारण महिलाओं में पुराने दर्द का जोखिम अधिक होता है। युवाओं में भी यह समस्या बढ़ रही है। फाइब्रोमायल्जिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर में लगातार दर्द और थकान बनी रहती है और मूड और नींद भी खराब रहती है।

शोध में ये बातें सामने आईं

अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन नेटवर्क ओपन नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 50 देशों के लगभग 3.5 लाख लोगों पर किए गए 376 सर्वेक्षणों को देखा। सर्वेक्षण में शामिल लोगों की औसत आयु लगभग 50 वर्ष थी, और उनमें से लगभग 70% महिलाएँ थीं। सबसे अधिक रिपोर्ट की गई पुरानी दर्द की बीमारियों में फाइब्रोमायल्जिया, पीठ दर्द और जोड़ों का दर्द शामिल था। वैज्ञानिकों ने कहा, “लगातार दर्द से पीड़ित लोगों में अवसाद और चिंता के इस बड़े अध्ययन में, लगभग 40% वयस्कों में अवसाद और चिंता इतनी गंभीर थी कि उन्हें डॉक्टर को दिखाना पड़ा।”

दर्द को एक अलग नज़रिए से समझना और उसका इलाज करना

1970 के दशक में विकसित दर्द के एक मॉडल के अनुसार, दर्द केवल शरीर से ही नहीं, बल्कि मन, समाज और जीवनशैली से भी जुड़ा होता है। खराब नींद, हताशा, थकान, तनाव और अधिक वजन जैसे कारक दर्द को बढ़ा सकते हैं। उपचार में आमतौर पर दर्द की दवाएँ और प्रिस्क्रिप्शन दवाएँ, जैसे कि एंटी-एंग्जायटी दवाएँ शामिल होती हैं, लेकिन डॉक्टर मानसिक चिकित्सा की भी सलाह दे सकते हैं।

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दर्द और मन के बीच भ्रम और विशेषज्ञ क्या कहते हैं

ऑकलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी की डॉ. डेबी बीन ने कहा, “लगातार दर्द से पीड़ित लोगों को अक्सर गलत समझा जाता है, जहाँ लोग उनके दर्द को गंभीरता से नहीं लेते हैं, या उन्हें संदेह की नज़र से देखते हैं। इसलिए, यह सिर्फ़ दर्द नहीं है, बल्कि जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव है जो चिंता और अवसाद दोनों को जन्म दे सकता है।” इसके अलावा, अवसाद और चिंता शरीर के दर्द महसूस करने के तरीके को बदल देते हैं, इसलिए ये दोनों समस्याएँ एक-दूसरे को और भी बदतर बना सकती हैं। डॉ. ब्रॉनविन थॉम्पसन ने कहा, “लगातार दर्द के लिए आम उपचार दर्द को बहुत कम नहीं करते हैं, जिसका मतलब है कि कई लोग लंबे समय तक दर्द के साथ जीएँगे।”

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Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।