India News (इंडिया न्यूज़),Tahawwur Rana India Extradition: मुंबई हमलों की साजिश रचने वाले आतंकी तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाया जा रहा है। अमेरिका ने इस लश्कर आतंकी के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ कर दिया था, जिसके बाद उसे भारत लाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। पिछले साल राणा ने अमेरिकी कोर्ट में अपनी बीमारियों का हवाला देते हुए भारत प्रत्यर्पित न किए जाने की गुहार लगाई थी। उसने कोर्ट को बताया था कि वह कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित है और इसके लिए उसने कई दस्तावेज भी कोर्ट में पेश किए थे। तहव्वुर राणा के दस्तावेजों के मुताबिक उसे कई बार दिल का दौरा पड़ चुका है और फिलहाल वह किडनी की बीमारी, पार्किंसन बीमारी और संज्ञानात्मक गिरावट से ग्रसित है। अब सवाल यह है कि पार्किंसन बीमारी क्या है और यह कितनी खतरनाक है?
धीरे-धीरे बढ़ती है
पार्किंसन रोग मस्तिष्क से जुड़ी एक बीमारी है जो धीरे-धीरे बढ़ती है। इस बीमारी में मस्तिष्क के अंदर डोपामाइन नामक न्यूरोट्रांसमीटर की कमी हो जाती है। यह बीमारी मस्तिष्क के उस हिस्से को प्रभावित करती है जो शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित करता है। इसके कारण लोगों के हाथ कांपने लगते हैं, शरीर का संतुलन बिगड़ने लगता है और चलने की गति बहुत धीमी हो जाती है। इसके अलावा पार्किंसन के मरीजों को साफ बोलने में भी दिक्कत होने लगती है। 50-60 साल से अधिक उम्र के लोगों को इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में पार्किंसन का खतरा ज्यादा होता है।
कोशिकाएं होती हैं कमजोर
डोपामाइन बनाने वाली मस्तिष्क कोशिकाएं धीरे-धीरे कमजोर होती जाती हैं। इसके साथ ही ऑक्सीडेटिव तनाव, आनुवंशिक कारक और न्यूरोइंफ्लेमेशन जैसी चीजें भी उम्र के साथ बढ़ती हैं। इनसे पार्किंसंस का खतरा बढ़ता है। पार्किंसंस रोग एक प्रगतिशील रोग है, जिसे किसी भी उपचार से पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन दवाएं रोग को बढ़ने से रोकने में मदद करती हैं। करीब 80 फीसदी मरीजों में दवाएं कारगर होती हैं, लेकिन ऐसे मामलों में जहां दवाओं का असर कम होने लगता है, तो सर्जिकल उपचार का सहारा लेना पड़ता है।
पार्किंसंस रोग का पता लगाने के लिए कोई सटीक परीक्षण नहीं है, लेकिन अगर किसी व्यक्ति में इसके लक्षण दिखते हैं, तो डॉक्टर इसकी पुष्टि करने के लिए कई चीजों का विश्लेषण करता है। इसके बाद ही इसका इलाज शुरू किया जाता है।
क्या पार्किंसन रोग को रोका जा सकता है?
डॉक्टर के अनुसार, पार्किंसन रोग को रोकने का कोई तरीका नहीं है। हालांकि, अच्छी जीवनशैली, बेहतर खान-पान और नियमित व्यायाम से इसके जोखिम को कम किया जा सकता है। कम शराब का सेवन करने से भी इस बीमारी के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। इस बीमारी के लिए फिलहाल कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। पार्किंसन के वैक्सीन को लेकर कई देशों में शोध चल रहा है। अगले कुछ सालों में इसकी वैक्सीन आने की संभावना है। फिलहाल इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए कुछ दवाइयाँ दी जाती हैं, जिन्हें अगर दिन में 2-3 बार लिया जाए, तो कई लक्षणों से राहत मिलती है।
पार्किंसन रोग तुरंत घातक नहीं होता, लेकिन यह धीरे-धीरे बढ़ने वाला रोग है, जो समय के साथ शरीर की हरकतों को बहुत प्रभावित कर सकता है। यह बीमारी जीवन को कठिन बना देती है। अगर इसका इलाज और देखभाल ठीक से न की जाए, तो इससे जुड़ी जटिलताएँ जानलेवा साबित हो सकती हैं।
कॉग्निटिव डिक्लाइन क्या है?
कॉग्निटिव डिक्लाइन का मतलब है मस्तिष्क की सोचने, याद रखने, निर्णय लेने और ध्यान केंद्रित करने की क्षमताओं में धीरे-धीरे कमी आना। उम्र बढ़ने के साथ यह एक सामान्य प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन जब यह दैनिक दिनचर्या को बुरी तरह प्रभावित करने लगे, तो यह डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारी का संकेत भी हो सकता है। शुरुआती लक्षणों में चीजें भूल जाना, बात करते समय शब्द भूल जाना, निर्णय लेने में कठिनाई या एक ही बात बार-बार पूछना शामिल हो सकता है। अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।