India News (इंडिया न्यूज),Fatty Liver: पहले माना जाता था कि फैटी लिवर बुजुर्गों से जुड़ी बीमारी है, लेकिन अब यह स्थिति भारत के युवाओं में भी तेजी से फैल रही है। यह अब एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) को अब मेडिकल साइंस में मेटाबॉलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टीटोटिक लिवर डिजीज (MASLD) कहा जाता है। यह समस्या अब सिर्फ मोटापे या डायबिटीज तक सीमित नहीं रह गई है। यह युवा, दुबले-पतले और सामान्य बीएमआई वाले लोगों में भी तेजी से फैल रही है।

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ये गंभीर लक्षण दिखते हैं

नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज में धीरे-धीरे लिवर में फैट जमा होने लगता है। शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखते, जिससे समय रहते पहचान मुश्किल हो जाती है। जब तक थकान, पेट में भारीपन या वजन कम होने जैसे लक्षण दिखते हैं, तब तक नुकसान हो चुका होता है।

फैटी लिवर के कारण

विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक बैठे रहना, व्यायाम न करना और प्रोसेस्ड फूड का सेवन करना लिवर में फैट जमा होने के मुख्य कारण हैं। गतिहीन जीवन जीने से इंसुलिन संवेदनशीलता कम हो जाती है, जिससे इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ जाता है, जो फैटी लिवर का सबसे बड़ा कारण है।

मानसिक स्वास्थ्य भी खतरे में

नए शोध से पता चलता है कि फैटी लिवर की बीमारी, खासकर जब यह गंभीर अवस्था में पहुंच जाती है, तो मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकती है। लिवर का काम शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालना होता है। जब लिवर कमजोर हो जाता है, तो अमोनिया जैसे विषैले पदार्थ मस्तिष्क में पहुंच जाते हैं और मानसिक स्थिति को प्रभावित करते हैं।

ऐसे करें बचाव

विशेषज्ञों का सुझाव है कि नियमित स्वास्थ्य जांच में लिवर फंक्शन टेस्ट को शामिल किया जाना चाहिए, खास तौर पर उन लोगों के लिए जो जोखिम में हैं। अगर युवा हर दिन 30 मिनट व्यायाम करें, प्रोसेस्ड फूड से बचें और फाइबर युक्त भोजन खाएं तो फैटी लिवर से बचा जा सकता है। इसके साथ ही इस विषय पर जन जागरूकता अभियान भी चलाए जाने चाहिए।

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