India News (इंडिया न्यूज),Turai Benefits: तुरई या तोरी एक प्रकार की सब्जी है और इसकी खेती भारत में हर जगह की जाती है। पोषक तत्वों के हिसाब से इसकी तुलना नेनुआ से की जा सकती है। तुरई की सब्जी का इस्तेमाल बारिश के मौसम में खाने में ज्यादा किया जाता है। तुरई दो प्रकार की होती है, मीठी और कड़वी। इसकी प्रकृति ठंडी और तर होती है। आजकल समय से पहले बालों का सफेद होना आम बात हो गई है। इसका कारण है लाइफस्टाइल। समय पर खाना-पीना न होना, ठीक से न सोना, जंक फूड खाना। आजकल हम आपको बालों को काला करने का ऐसा उपाय बता रहे हैं, जो घर पर ही आसानी से किया जा सकता है।
जी हां, तुरई का इस्तेमाल ऐसे उपचारों के लिए किया जा सकता है। यह दर्दनाक मस्सों को भी ठीक करता है। तुरई या तोरी एक ऐसी सब्जी है, जो लगभग पूरे भारत में उगाई जाती है। तुरई का वानस्पतिक नाम तुरई एक्यूटेंगुला है आइये आज हम ऐसे ही कुछ रोचक हर्बल उपचारों के बारे में जानते हैं।
तुरई के 14 अद्भुत फायदे
पथरी: तुरई की बेल को गाय के दूध या ठंडे पानी में पीसकर रोज सुबह 3 दिन तक पीने से पथरी गलकर खत्म हो जाती है।
फोड़े की गांठ: तुरई की जड़ को ठंडे पानी में पीसकर फोड़े की गांठ पर लगाने से 1 दिन में फोड़े की गांठ खत्म होने लगती है।
चकत्ते: तुरई की बेल को गाय के मक्खन में पीसकर चकत्तों पर 2 से 3 बार लगाने से आराम मिलता है और चकत्ते ठीक होने लगते हैं।
पेशाब में जलन: तुरई पेशाब की जलन और मूत्र रोग को ठीक करने में फायदेमंद है।
आंखों की सूजन और जलन: आंखों में स्टाई (पोथकी) होने पर तुरई के ताजे पत्तों का रस निकालकर 2 से 3 बूंद आंखों में दिन में 3 से 4 बार डालने से आराम मिलता है।
बालों का काला होना: तुरई के टुकड़ों को छाया में सुखाकर मसल लें। इसके बाद इसे नारियल के तेल में मिलाकर 4 दिन तक रखें और फिर उबालकर छानकर बोतल में भर लें। इस तेल को बालों पर लगाने और सिर पर मालिश करने से बाल काले हो जाते हैं।
मधुमेह में लाभ: तुरई में इंसुलिन जैसे पेप्टाइड्स पाए जाते हैं। इसलिए सब्जी के रूप में इसका सेवन मधुमेह में लाभकारी होता है।
दाद, खाज और खुजली से राहत: तुरई के पत्तों और बीजों को पानी में पीसकर त्वचा पर लगाने से दाद, खाज और खुजली जैसी बीमारियों में राहत मिलती है। यह कुष्ठ रोग में भी लाभकारी है।
पेट दर्द से राहत: तुरई की सब्जी अपच और पेट की समस्याओं के लिए बहुत कारगर इलाज है। डांगी आदिवासियों के अनुसार अधपकी सब्जी पेट दर्द से राहत दिलाती है।
बवासीर: तुरई की सब्जी खाने से कब्ज दूर होती है और बवासीर में आराम मिलता है। करेले को उबालकर उसके पानी में बैंगन पकाएं। बैंगन को घी में भूनकर गुड़ के साथ खाने से दर्द दूर होता है और दर्दनाक मस्से गिर जाते हैं।
गठिया: पालक, मेथी, तुरई, टिंडा, परवल आदि सब्जियों का सेवन करने से घुटनों का दर्द ठीक हो जाता है।
मस्से गिरते हैं: आधा किलो तुरई को बारीक काटकर 2 लीटर पानी में उबालें, छान लें। फिर प्राप्त पानी में बैंगन को पकाएं। जब बैंगन पक जाए तो उसे घी में भूनकर गुड़ के साथ खाएं, इससे बवासीर में बनने वाले दर्दनाक मस्से ठीक हो जाएंगे।
पीलिया ठीक होता है: पीलिया से पीड़ित रोगी की नाक में अगर तुरई के फल के रस की 2 बूंदें डाली जाएं तो नाक से पीले रंग का तरल पदार्थ निकलता है। आदिवासी मानते हैं कि इससे पीलिया जल्दी ठीक हो जाता है।
लिवर के लिए फायदेमंद: आदिवासी जानकारी के अनुसार तुरई का नियमित सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। तुरई रक्त शोधन के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती है। यह लीवर के लिए भी फायदेमंद है।
कृपया इन बातों का ध्यान रखें
तुरई कफ और गैस पैदा करती है, इसलिए इसका अधिक सेवन हानिकारक हो सकता है।
तुरई पचने में भारी होती है और पेट फूलने का कारण बनती है। बीमार लोगों के लिए बरसात के मौसम में तुरई का साग खाना फायदेमंद नहीं होता।