आजकल के बदलते लाइफस्टाइल में और स्ट्रेस की वजह से 30 से 50 साल तक के लोग भी स्ट्रोक की चपेट में आ रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह अनियमित खानपान भी है। जानकार बताते हैं कि पशुओं से प्राप्त होने वाले फैट के ज्यादा सेवन से स्ट्रोक का खतरा बढता है, वहीं एक नई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि वेजिटेबल फैट यानी पॉलीअनसैचुरेटेड फैट से उसका रिस्क कम होता है।
इस रिसर्च का निष्कर्ष 13 से 15 नवंबर को वर्चुअल माध्यम से होने वाले अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के साइटिफिक सेशन 2021 में पेश किया जाएगा। इस स्टडी में वेजिटेबल, डेयरी और नॉन डेयरी एनिमल स्रोतों से मिलने वाले फैट का स्ट्रोक के रिस्क पर होने वाले असर का व्यापक विश्लेषण किया गया है।
बोस्टन स्थित हावर्ड के टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के न्यूट्रिशन डिपार्टमेंट के रिसर्चर और इस स्टडी के राइटर फेंगलेई वांग ने बताया कि हमारी स्टडी का निष्कर्ष इस बात की ओर इशारा करती है कि स्ट्रोक समेत अन्य कार्डियोवस्कुलर डिजीज की रोकथाम के लिए भोजन में लिए जाने वाले फैट की मात्रा से ज्यादा महत्वपूर्ण उसका सोर्स (स्त्रोत) होता है।
फेंगलेई वांग ने आगे कहा कि हम अपनी स्टडी के निष्कर्षों के आधार पर लोगों को ये सलाह देते हैं कि स्ट्रोक का रिस्क कम करने के लिए रेड मीट का सेवन कम करें। यदि आप इसका सेवन करते भी हैं, तो प्रोसेस्ड मीट के फैट वाले पार्ट यूज कम से कम करें। खाने में वेजिटेबल ऑयल, कॉर्न या सोयाबीन का तेल यूज करें।
स्टडी के बेस्ड पर एडवाइज
एक अन्य रिसर्चर और बोस्टन की टफ्ट्स यूनिवर्सिटी की प्रो.एलिस एच. लिंचेस्टीन का कहना है कि कई सारे प्रोसेस्ड मीट में नमक और सैचुरेटेड फैट काफी अधिक मात्रा में होता है, जबकि वेजिटेबल फैट में ये मात्रा काफी कम होती है।
इस रिसर्च से ये बात सामने आई है कि प्रोसेस्ड मीट के बदले अगर प्रोटीन का यूज किया जाए तो उससे मौत का खतरा काफी कम हो जाता है। हार्ट को हेल्दी रखने के लिए साबुत अनाज, वनस्पति बेस्ड प्रोटीन के साथ ही कई तरह के फल और सब्जियों का सेवन ज्यादा फायदेमंद है।
स्टडी का स्वरूप
साइंटिस्टों ने इस रिसर्च के लिए 1 लाख 17 हजार 136 प्रतिभागियों का 27 सालों (साल 1984 से लेकर साल 2016) तक फॉलोअप स्टडी की। इस स्टडी की शुरुआत में प्रतिभागियों की औसत उम्र 50 साल थी और उनमें 63 प्रतिशत महिलाएं थीं। इनमें से 97 लोग व्हाइट थे, जिनमें से किसी को भी हार्ट डिजीज और कैंसर नहीं था।
इन सभी से हर चार साल के अंतराल पर एक प्रश्नावली भरवाई गई, जिससे कि उनके द्वारा भोजन में लिए गए फैट की मात्र और उसके सोर्स का आकलन किया जा सके। भोजन में लिए गए फैट की मात्र को 5 ग्रुप्स में बांटा गया। इसमें रेड मीट, प्रोसेस्ड मीट के अलावा अन्य खाद्य पदार्थो के असर का विश्लेषण किया गया।
निष्कर्ष कुछ इस तरह
स्टडी के दौरान 6,189 प्रतिभागियों को स्ट्रोक हुआ। -इनमें नॉन-डेयरी एनिमल फैट लेने वालों को ज्यादा स्ट्रोक का सामना करना पड़ा। पनीर, मक्खन, दूध, आइसक्रीम तथा क्रीम जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स का स्ट्रोक के ज्यादा रिस्क से कोई रिलेशन नहीं पाया गया। जिन प्रतिभागियों ने ज्यादातर वेजिटेबल फैट और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट लिया, उनमें स्ट्रोक के मामले ऐसे पदार्थो का बहुत ही कम सेवन करने वालों की तुलना में 12 प्रतिशत कम थे।
जिन प्रतिभागियों ने रोजाना कम से कम एकबार रेड मीट का सेवन किया, उनमें स्ट्रोक का रिस्क 8 प्रतिशत ज्यादा था। जिन लोगों ने रोजाना एक बार से ज्यादा प्रोसेस्ड मीट लिया, उनमें स्ट्रोक का रिस्क 12 प्रतिशत ज्यादा था।
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