India News (इंडिया न्यूज), What Is Liver Tumor: टीवी की मशहूर अभिनेत्री दीपिका कक्कड़ को लिवर ट्यूमर होने की जानकारी सामने आई है। इस बात की पुष्टि उनके पति और अभिनेता शोएब इब्राहिम ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट के ज़रिए की है। शोएब ने बताया कि दीपिका को पेट में लगातार तकलीफ थी, जिसे उन्होंने शुरुआत में मामूली एसिडिटी समझा। लेकिन डॉक्टर से जांच कराने पर पता चला कि उन्हें लिवर में ट्यूमर है। इस खबर ने उनके फैंस को चिंता में डाल दिया है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि लिवर ट्यूमर आखिर होता क्या है, क्या यह कैंसर का रूप होता है और इसके लक्षण व इलाज क्या हैं।
क्या होता है लिवर ट्यूमर?
लिवर ट्यूमर यानी जिगर में बनने वाली गांठ, जो सामान्य और असामान्य कोशिकाओं के अत्यधिक विकास के कारण बनती है। यह ट्यूमर दो प्रकार के होते हैं बिनाइन (गैर-कैंसरयुक्त) और मेलिगनेंट (कैंसरयुक्त)।
क्या होते हैं बिनाइन और मेलिगनेंट?
बिनाइन ट्यूमर शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाते और इनका पता अक्सर तब चलता है जब किसी दूसरे कारण से स्कैन किया जाता है। वहीं मेलिगनेंट ट्यूमर खतरनाक होते हैं और ये कैंसर का रूप ले सकते हैं या शरीर के किसी अन्य भाग से फैलकर लिवर तक पहुंच सकते हैं।
गैर-कैंसर वाले ट्यूमर कितने तरह के होते हैं?
हेपैटोसेल्युलर एडेनोमा
यह ट्यूमर विशेष दवाओं के उपयोग से जुड़ा होता है और अक्सर बिना लक्षण के रहते हैं। हालांकि, कभी-कभी यह फटकर पेट में रक्तस्राव कर सकता है, जिसकी वजह से सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
हेमांजियोमा
यह असामान्य रक्त वाहिकाओं की गांठ होती है, जिसका आमतौर पर इलाज नहीं करना पड़ता। मगर नवजात शिशुओं में इसका आकार बड़ा होने पर हृदय संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
कैंसरयुक्त लिवर ट्यूमर
अगर ट्यूमर मेलिगनेंट यानी कैंसरयुक्त है, तो यह ज्यादा खतरनाक होता है। यह या तो लिवर में ही शुरू होता है या शरीर के अन्य हिस्सों से फैलकर वहां पहुंचता है। जब यह दूसरे अंगों से लिवर में आता है, तो इसे मेटास्टेटिक लिवर कैंसर कहा जाता है। लिवर में उत्पन्न होने वाले कैंसर को हैपैटोसेल्युलर कार्सिनोमा (HCC) कहा जाता है। यह लिवर कैंसर का सबसे आम प्रकार है। इसके होने का खतरा हेपेटाइटिस बी, सी, शराब का अत्यधिक सेवन, लिवर सिरोसिस और कुछ हानिकारक रसायनों के संपर्क में आने से बढ़ जाता है।
लिवर कैंसर के लक्षण
कैंसर के कई लक्षण दिखते हैं जैसे, पेट में लगातार दर्द रहना साथ ही अचानक वजन भी कम होते जाना। हमेशा उलटी जैसा लगना और कमजोरी महसूस करना। पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में गांठ का महसूस होना। बुखार और पीलिया होना। लगातार थकान और खुजली होते रहना। ये लक्षण किसी अन्य बीमारी से भी जुड़े हो सकते हैं, इसलिए डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
कैसे होती है जांच?
- लिवर फंक्शन टेस्ट होता है जिसमें खून के जरिए लिवर की कार्यक्षमता को चेक किया जाता है।
- अल्ट्रासाउंड/सीटी स्कैन/एमआरआई की जाती है जिससे लिवर का स्ट्रक्चर देखा जा सके।
- हेपेटिक एंजियोग्राफी होती है। इससे लिवर की धमनियों की जांच की जाती है।
- लिवर बायोप्सी की जाती है इसमें कैंसर का पता लगाने के लिए टिशू की जांच होती है।
क्या है इलाज?
लिवर ट्यूमर के इलाज की प्रक्रिया उसकी प्रकृति पर निर्भर करती है। यदि यह बिनाइन है, तो कई बार इलाज की जरूरत ही नहीं पड़ती। लेकिन यदि यह कैंसर है तो, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी, गंभीर सिचुएशन में लिवर ट्रांसप्लांट किया जाता है। इलाज का निर्णय मरीज की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और कैंसर के स्तर के अनुसार लिया जाता है।