India News(इंडिया न्यूज), WHO: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया है कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों को एंटीबायोटिक्स की अधिक मात्रा देने से खतरा है। वह यह भी कहते हैं कि कोविड-19 के इलाज में दी जाने वाली एंटीबायोटिक्स ने सुपरबग्स (AMR) के फैलाव को बढ़ावा दिया है।
एंटीबायोटिक्स का ज्यादा उपयोग करने से शरीर में एएमआर नामक एक विशेष प्रतिकूलता बढ़ जाती है। इसके कारण दवा का असर कम होता है और उसका इलाज पर असर पड़ता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना ज़रूरत के एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करने से हानि होती है, न कि फायदा।

2050 तक सामना करना पड़ सकता है इन चुनौतियों का सामना

सुपरबग्स का खतरा

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जब एंटीबायोटिक्स का असर कम होने लगेगा, तो सुपरबग्स का खतरा बढ़ जाएगा। 2019 में सुपरबग्स के कारण लगभग 12.7 लाख लोगों की मौत हुई थी, और अगर ऐसा ही चलता रहा तो 2050 तक हर साल 1 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है।

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कोविड में बिना जरूरत के दिए गए एंटीबायोटिक्स।

WHO ने 2020 से 2023 के बीच लगभग 65 देशों में कोरोना के कारण भर्ती हुए करीब 4 लाख लोगों पर अध्ययन किया। WHO के अनुसार, इनमें से केवल 8% मरीजों को बैक्टीरियल इंफेक्शन था, जिसके लिए एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता थी। लेकिन सावधानी की वजह से 75% मरीजों को भी एंटीबायोटिक दवाएं दी गईं। कोविड के ज्यादा लक्षण वाले मरीजों को सबसे अधिक एंटीबायोटिक दी गईं, हालांकि कम लक्षण वाले मरीजों को भी दी गईं।

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स्ट्रोक का बड़ा खतरा

2050 तक, स्ट्रोक से मरने वालों की संख्या हर साल 50% बढ़कर 97 लाख होने की उम्मीद है।

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