India News (इंडिया न्यूज), Thyroid Disorder Awareness: एनएफएचएस-5 के अनुसार, भारत में 2.9 प्रतिशत लोग थायरॉयड डिसऑर्डर से प्रभावित हैं, जिसमें सबसे अधिक महिलाएं शामिल हैं।
थायरॉयड डिसऑर्डर क्यों बढ़ रहा है?
थायरॉयड डिसऑर्डर थायरॉयड ग्रंथि से हार्मोन स्राव में अनियमितता के कारण होता है। यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। महिलाओं में यह समस्या अधिक पाई जाती है।
महिलाओं में थायरॉयड का खतरा अधिक क्यों?
डॉ. धीरज कपूर, प्रमुख – एंडोक्राइनोलॉजी, आर्टेमिस हॉस्पिटल्स, बताते हैं कि महिलाओं में पाए जाने वाले एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन थायरॉयड की फंक्शनिंग को प्रभावित करते हैं। जीवन के विभिन्न चरण जैसे मासिक धर्म, गर्भावस्था और मीनोपॉज में हार्मोनल बदलाव थायरॉयड की समस्या का खतरा बढ़ा सकते हैं।
थायरॉयड डिसऑर्डर के प्रकार और लक्षण
थायरॉयड डिसऑर्डर दो प्रकार का होता है:
- हाइपो थायरॉयडिज्म (थायरॉयड ग्रंथि की सक्रियता कम):
- थकान और कमजोरी
- वजन बढ़ना
- ठंड ज्यादा लगना
- त्वचा और बालों में रूखापन
- मासिक धर्म में अनियमितता
- डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन
- हाइपर थायरॉयडिज्म (ग्रंथि की अतिसक्रियता):
- वजन कम होना
- गर्मी लगना और पसीना आना
- बेचैनी और घबराहट
- दिल की धड़कन तेज होना
- बालों का झड़ना और पतले होना
अन्य लक्षणों में गले के पास सूजन, आवाज में बदलाव, पाचन में समस्या, और हाथ-पैरों में सूजन शामिल हो सकते हैं।
इलाज और बचाव के उपाय
थायरॉयड डिसऑर्डर के इलाज के कई तरीके उपलब्ध हैं:
- दवाइयां:
- हाइपो थायरॉयडिज्म में कृत्रिम थायरॉयड हार्मोन दिए जाते हैं।
- हाइपर थायरॉयडिज्म में हार्मोन स्राव को रोकने के लिए दवाएं दी जाती हैं।
- रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी:
- थायरॉयड सेल्स को निशाना बनाकर हार्मोन स्राव को नियंत्रित किया जाता है।
- सर्जरी:
- गंभीर मामलों में थायरॉयड ग्रंथि को हटा दिया जाता है।
जागरूकता और सही समय पर इलाज है जरूरी
थायरॉयड डिसऑर्डर को अनदेखा करना गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। नियमित स्वास्थ्य जांच, संतुलित आहार, और डॉक्टर की सलाह से सही इलाज संभव है। विश्व थायरॉयड दिवस का उद्देश्य लोगों को इन समस्याओं के बारे में जागरूक करना और समय रहते उन्हें रोकने के लिए प्रेरित करना है। महिलाओं को विशेष रूप से इस दिशा में सतर्क रहने की आवश्यकता है।