India News (इंडिया न्यूज), Jungle Fire: किन्नौर जिले के मीरू गांव के पास न्यू कंपार्टमेंट नंबर-28 के जंगलों में पिछले दो दिनों से भीषण आग लगी हुई है। इस आग ने न सिर्फ हरे-भरे पेड़-पौधों, बल्कि कई दुर्लभ जड़ी-बूटियों को भी राख में तब्दील कर दिया है। इससे पहले रुनंग गांव के जंगलों में भी इसी तरह की आग लग चुकी है, जिससे लाखों रुपये की वन संपदा स्वाहा हो गई थी।

वन्यजीवों पर मंडराया खतरा

इस आग से जंगल में रहने वाले जाजूराना, कस्तूरी मृग और अन्य दुर्लभ जीवों पर खतरा बढ़ गया है। लगातार जलते जंगलों की वजह से इन जीवों के प्राकृतिक आवास प्रभावित हो रहे हैं, जिससे उनके विलुप्त होने का खतरा और बढ़ सकता है।

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आग का कारण – इंसानी लापरवाही?

जिस क्षेत्र में यह आग लगी है, वहीं पास में रोरा नॉन-कन्वेंशनल एनर्जी कंपनी की डैम साइट और दो एडिट टनलों का निर्माण कार्य चल रहा है। यहां काम करने वाले प्रवासी मजदूर जंगल में अस्थायी रूप से रह रहे हैं और ईंधन के लिए लकड़ियां काट रहे हैं। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि आग लगने के पीछे इंसानी लापरवाही भी एक बड़ा कारण हो सकता है।

वन विभाग की कार्रवाई

किन्नौर के डीसीएफ अरविंद कुमार ने बताया कि वन विभाग ने हर बीट में फायर वॉचर तैनात किए हैं और पंचायत प्रतिनिधियों को फायर एसएमएस अलर्ट सिस्टम से जोड़ा गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय वन अधिनियम की धारा-79 के तहत जंगल की आग बुझाने में वन विभाग और पुलिस अधिकारियों की मदद करना वन अधिकार धारकों की जिम्मेदारी है। यदि कोई व्यक्ति मदद करने से इनकार करता है या आग फैलाने में शामिल पाया जाता है, तो उसके वन अधिकार तुरंत रद्द कर दिए जाएंगे और उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।

आग से बचाव के लिए सख्त कदम जरूरी

किन्नौर के जंगलों में बार-बार आग लगने की घटनाएं पर्यावरण और जैव विविधता के लिए गंभीर खतरा बन चुकी हैं। प्रशासन को चाहिए कि आग के कारणों की गहन जांच की जाए और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े नियम लागू किए जाएं।

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