India News (इंडिया न्यूज),Himachal: परवाणू-सोलन फोरलेन पर पहाड़ों से भूस्खलन रोकने के लिए रेनफोर्स मैट तकनीक अपनाई जा रही है। इससे पहाड़ियों को ढकने का काम शुरू हो गया है। इससे पहले पहाड़ों को सुरक्षित कर रही कंपनी की ओर से ड्रिलिंग कार्य किया गया था। अब कुछ साइटें ऐसी हैं, जहां पर ड्रिलिंग कार्य पूरा कर रेनफोर्स मैट बिछाने का कार्य शुरू हो गया है। इससे यदि पहाड़ी से पत्थर दरकता है तो वे रोड तक नहीं आएगा। रेनफोर्स मैट के अंदर ही पत्थर और मलबा रह जाएगा। इससे वाहन चालकों के लिए जोखिम भी कम होगा और बरसात में भी सफर सुरक्षित रहेगा।
रेनफोर्स मैट लगाया जाएगा
आपको बता दें कि इसके अलावा कंपनी की तरफ से मैकमेट ग्रीन हाइड्रोस्टिक घास और मैश विधि से दरक रहे पहाड़ों को रोकने का प्रयास किया जाएगा। मैश विधि को उन पहाड़ों पर अपनाया किया जा रहा है। जिन पहाड़ों से सिर्फ पत्थर गिरने का खतरा रहता है। जबकि मैकमेट ग्रीन हाइड्रोस्टिक घास विधि को मिट्टी के साथ दरकने वाले पहाड़ों पर प्रयोग में लाया जाएगा। ड्रिल करने के बाद पहाड़ों में मैकमेट ग्रीन हाइड्रोस्टिक घास लगाया जाएगा। इसके बाद रेनफोर्स मैट लगाया जाएगा।
कार्य तेज गति से चल रहा है
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वर्तमान में कार्य जाबली से सोलन तक चला हुआ है। कई पहाड़ों पर रेनफोर्स मैट बिछा दिए गए हैं। अब शॉर्ट कंक्रीट का कार्य भी होगा। एसआरएम कंपनी की ओर से कार्य किया जा रहा। गौर रहे कि हाईवे पर पहाड़ों की कटिंग के बाद कई पहाड़ों से लगातार पत्थर और मलबा गिरता रहता है। परवाणू से सोलन के बीच 42 ऐसी जगह चयनित की गईं हैं, जहां पर बरसात में लगातार भूस्खलन होता है। एनएचएआई की ओर से टेंडर लगाकर कार्य आवंटित किया गया। कार्य तेज गति से चल रहा है।