India News (इंडिया न्यूज), Jayalalithaa: 25 मार्च 1989 को तमिलनाडु विधानसभा में जयललिता के साथ ऐसी शर्मनाक हरकत हुई जो भारतीय राजनीति के काले पन्नों में दर्ज है। जयललिता तमिलनाडु में विपक्ष की पहली महिला नेता थीं और यह बात कई लोगों को रास नहीं आई। 1987 में एमजीआर की मौत के बाद जयललिता ने एएआईडीएमके की कमान संभाली। जयललिता जल्द ही तमिलनाडु की सबसे प्रिय मुख्यमंत्री बन गईं। लोग उन्हें अम्मा कहने लगे। चलिए आपको उनके साथ हुई उस दर्दभरी घटना से रूबरू करवाते हैं।
वो शर्मनाक घटना
25 मार्च 1989 को तमिलनाडु विधानसभा में जयललिता के साथ बेहद अप्रिय घटना घटी। जयललिता ने तत्कालीन मुख्यमंत्री करुणानिधि और उनके विधायकों को चोर कहा। इसके बाद करुणानिधि ने जयललिता के चरित्र पर सवाल उठाए। इतना ही नहीं डीएमके नेताओं ने उन पर हमला किया और उनकी साड़ी का खुला हिस्सा खींचा। जयललिता अपनी इज्जत बचाने की कोशिश करती रहीं। बाद में जयललिता ने मीडिया को अपने ऊपर हुए हमले में लगी चोटों के निशान भी दिखाए।
लेकिन जयललिता चुप बैठने वालों में से नहीं थीं। उन्होंने सबको चेतावनी दी कि भले ही वे इस विधानसभा से जा रही हैं, लेकिन वे फिर से शासन संभालेंगी। दो साल बाद जयललिता ने इसी विधानसभा में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और फिर सबको कड़ी चुनौती दी।
इंटरव्यू में बताई दर्दनाक सच्चाई
इंटरव्यू में उन्होंने कहा- ‘मेरे लिए 25 मार्च 1989 को विधानसभा पर हुए हमले से ज़्यादा अपमानजनक कुछ नहीं है। मुख्यमंत्री करुणानिधि वहाँ थे। उनकी दोनों पत्नियाँ भी वीआईपी बॉक्स से देख रही थीं। उनके हर विधायक और मंत्री ने मुझे खींचा और मेरा यौन शोषण किया। जिस चीज़ पर भी उनका हाथ पड़ा, उसे खींच लिया, चाहे वो कुर्सी हो, माइक हो या पीतल की कोई भारी बेल्ट। अगर वो उस दिन सफल हो जाते, तो आज मैं ज़िंदा नहीं होता। उस दिन मेरे विधायकों ने मुझे बचाया था। उनमें से एक ने मेरी साड़ी भी खींची।‘
वो आगे कहती हैं- ‘उन्होंने मेरे बाल खींचे और उनमें से कुछ फाड़ दिए। उन्होंने मुझ पर चप्पलें फेंकी। उन्होंने कागज़ों के बंडल फेंके। उन्होंने भारी किताबें मारी। उस दिन मैं आंसुओं और गुस्से के साथ सदन से बाहर निकल गया। मैंने कसम खाई थी कि जब तक ये आदमी मुख्यमंत्री के तौर पर सदन में है, मैं यहाँ नहीं बैठूँगा और जब मैं दोबारा उस सदन में गया, तो मैं मुख्यमंत्री था। मैंने दो साल में अपनी कसम पूरी की।‘
एमजीआर उन्हें राजनीति में लाए
जयललिता को मशहूर तमिल अभिनेता एमजी रामचंद्रन राजनीति में लाए थे। उन्होंने और जयललिता ने साथ में 30 फिल्में की थीं। इसके बाद एमजीआर राजनीति में आए और 1977 से 1987 तक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे।
मृत्यु पर भी ड्रामा
जयललिता एमजीआर को अपना गुरु मानती थीं, भले ही लोगों ने उनके रिश्ते को कई नाम दिए हों। एमजीआर की मृत्यु के बाद जयललिता घंटों उनके शव के पास बैठी रहीं। फिर जब वे अंतिम संस्कार के लिए एमजीआर के शव के साथ ट्रक पर बैठीं, तो एमजीआर की पत्नी और परिवार ने इसका विरोध किया और जयललिता को धक्का देकर बाहर निकाल दिया गया।
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