India News (इंडिया न्यूज),  26/11 Mastermind Tahawwur Rana: मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को आज यानी बुधवार (09 अप्रैल, 2025) को भारत लाया जा सकता है। अमेरिकी अदालत की सिफारिशों के मुताबिक दिल्ली और मुंबई की दो जेलों में गोपनीय तरीके से विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई है। माना जा रहा है कि भारत लाए जाने के बाद राणा को शुरुआती कुछ हफ्तों तक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में रखा जाएगा। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पूरे ऑपरेशन की निगरानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और गृह मंत्रालय के आला अधिकारी कर रहे हैं।

कौन है तहव्वुर राणा?

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का सक्रिय सदस्य रहा है। उसने अपने सहयोगी और पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली उर्फ ​​दाऊद गिलानी को भारत आने के लिए पासपोर्ट दिलवाया था। हेडली ने भारत में उन ठिकानों की पहचान की थी, जिन पर नवंबर 2008 में लश्कर और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से आतंकी हमला हुआ था। जांच एजेंसियों के मुताबिक, राणा ने न सिर्फ इन हमलों की योजना बनाने में भूमिका निभाई, बल्कि वह खुद भी 11 से 21 नवंबर 2008 के बीच दुबई के रास्ते मुंबई आया था। वह होटल रेनेसां (पवई) में रुका था और हमले से जुड़ी व्यवस्थाओं का जायजा लिया था। हमले ठीक पांच दिन बाद 26 नवंबर को हुए थे।

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भारत ने की थी प्रत्यर्पण की मांग

अमेरिकी न्याय विभाग के दस्तावेजों के मुताबिक, तहव्वुर राणा और डेविड हेडली को 2009 में एफबीआई ने डेनमार्क के एक अखबार पर हमले की साजिश रचने और लश्कर की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। 2019 में भारत सरकार ने राणा के प्रत्यर्पण की मांग करते हुए अमेरिका को एक राजनयिक नोट सौंपा था। जून 2020 में भारत ने उसकी अस्थायी गिरफ्तारी के लिए औपचारिक शिकायत दर्ज की, जिससे प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया। इस साल फरवरी में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राणा के भारत प्रत्यर्पण की पुष्टि की और कहा कि वह “भारत जाएगा और न्याय का सामना करेगा।” राणा के प्रत्यर्पण को भारत की बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत माना जा रहा है। 2019 से ही मोदी सरकार इसके लिए लगातार प्रयास कर रही थी।

26/11 हमले में क्या थी राणा की भूमिका?

26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमलों में 174 से ज्यादा लोग मारे गए थे और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। इस हमले को पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने अंजाम दिया था। राणा पर अपने सहयोगी डेविड कोलमैन हेडली को मुंबई में हमले की साजिश रचने में मदद करने का आरोप है। हेडली ने राणा की इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म का कर्मचारी बनकर मुंबई की रेकी की थी।

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हेडली की गवाही के मुताबिक, 2006 की गर्मियों में उसने और लश्कर के दो आतंकियों ने भारत में अपनी जासूसी गतिविधियों को छिपाने के लिए मुंबई में इमिग्रेशन ऑफिस खोलने की योजना बनाई थी। हेडली ने यह जानकारी शिकागो में राणा को दी, जो उसका पुराना स्कूली दोस्त था। राणा ने हेडली को अपनी शिकागो स्थित कंपनी फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज़ के ज़रिए भारत में ऑफिस खोलने की अनुमति दी, जिससे हेडली आसानी से मुंबई आ-जा सकता था।

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