India News (इंडिया न्यूज़), Himachal Pradesh Politics: हिमाचल प्रदेश में हाल ही में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद अयोग्य घोषित किए गए छह कांग्रेस विधायकों ने अपनी अयोग्यता के खिलाफ मंगलवार, 5 मार्च को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इन 6 विधायकों ने राज्य विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के 29 फरवरी के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है।

बीजेपी के पक्ष में किया था वोट

ये कांग्रेसी बागी, जिन्होंने 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था, बाद में पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए बजट पर मतदान से अनुपस्थित रहे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी बागियों की क्रॉस वोटिंग के कारण राज्यसभा चुनाव हार गए।

कांग्रेस ने इस आधार पर उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग की थी कि वे पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए बजट पर मतदान से अनुपस्थित रहे। अयोग्य ठहराए गए विधायकों में राजिंदर राणा, सुधीर शर्मा, इंदर दत्त लखनपाल, देविंदर कुमार भुट्टू, रवि ठाकुर और चैतन्य शर्मा हैं।

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हिमाचल में पहली बार दलबदल के तहत अयोग्य घोषित

उनकी अयोग्यता के बाद, सदन की प्रभावी ताकत 68 से घटकर 62 हो गई है, जबकि कांग्रेस विधायकों की संख्या 40 से घटकर 34 हो गई है। अपनी याचिका में बागी विधायकों ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि उन्हें अयोग्यता याचिका पर जवाब देने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं मिला।

हिमाचल प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार था कि किसी विधायक को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया था। 29 फरवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेस दौरान स्पीकर ने छह विधायकों की अयोग्यता की घोषणा की थी। स्पीकर ने कहा था कि वे दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराए गए हैं। ये सभी विधायक व्हिप का उल्लंघन किया था।

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