India News (इंडिया न्यूज), Advisory Regarding Bakrid: इस्लाम के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक ईद-उल-अजहा या बकरीद है। इस साल यह देशभर में 7 जून 2025 को मनाया जाएगा। मरकजी सुन्नी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने इस तिथि की पुष्टि की है। इस अवसर पर इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की ओर से एक विशेष एडवाइजरी भी जारी की गई है, जिसमें साफ-सफाई, सामाजिक सद्भाव और धार्मिक मर्यादा का विशेष ध्यान रखने की अपील की गई है।
क्यों मनाया जाता है बकरीद?
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, बकरीद को कुर्बानी का त्योहार भी कहा जाता है। यह इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने जिलहिज्जा की 10वीं तारीख को मनाया जाता है। यह त्योहार पैगंबर हजरत इब्राहिम (अलैहि सलाम) की परीक्षा की याद दिलाता है, जब उन्होंने अल्लाह के आदेश पर अपने बेटे की कुर्बानी देने का संकल्प लिया था। उनकी मंशा को देखते हुए अल्लाह ने उनके बेटे की जगह एक जानवर भेज दिया। तब से यह परंपरा चली आ रही है।
किस तरह मनाया जाता है ये त्यौहार?
सबसे पहले ईद उल अजहा के दिन सुबह विदेश नमाज अदा की जाती है। फिर नमाज के बाद सभी अपने-अपने घरों में कुर्बानी की रस्म अदा करते हैं। यह कुर्बानी अल्लाह के प्रति समर्पण और मानवता के लिए बलिदान का प्रतीक मानी जाती है। कुर्बानी को तीन हिस्सों में बांटा जाता है, एक हिस्सा गरीबों को, एक रिश्तेदारों को और एक निजी इस्तेमाल के लिए रखा जाता है।
मौलाना फरंगी महली ने जारी की गाइडलाइन
बकरीद को देखते हुए इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया और मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने लोगों को सलाह दी है कि, केवल निर्धारित स्थानों पर ही कुर्बानी करें। सार्वजनिक स्थानों, सड़कों या गलियों में कुर्बानी न करें। कुर्बानी की फोटो या वीडियो न बनाएं और न ही सोशल मीडिया पर शेयर करें। जानवरों के खून को नालियों में न बहने दें। खून को जमीन में दबा दें। जानवरों के अवशेष खुले में न फेंके। साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। कुर्बानी का एक हिस्सा जरूरतमंदों में जरूर बांटें।