India News (इंडिया न्यूज), Hindi Language Controversy : हिंदी भाषा का विवाद दक्षिण से महाराष्ट्र तक फैल गया है, राज्य सरकार ने मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में प्राथमिक सेक्शन के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में लागू करने का कदम उठाया है। इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। विपक्षी कांग्रेस और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने एक्स पर एक पोस्ट में आज के आदेश के साथ-साथ केंद्र की तीन-भाषा नीति की भी आलोचना की।

मनसे प्रमुख ने लिखा, आपका त्रिभाषी फॉर्मूला जो भी हो, उसे सरकारी मामलों तक सीमित रखें, इसे शिक्षा में न लाएं। उन्होंने कहा कि मनसे, केंद्र सरकार के हर चीज को ‘हिंदीकृत’ करने के मौजूदा प्रयासों को इस राज्य में सफल नहीं होने देगी।

‘हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं’

उन्होंने कहा, “हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं! अगर आप महाराष्ट्र को हिंदी के रूप में चित्रित करने का प्रयास करेंगे, तो महाराष्ट्र में संघर्ष होना तय है। अगर आप यह सब देखेंगे, तो आपको एहसास होगा कि सरकार जानबूझकर यह संघर्ष पैदा कर रही है। क्या यह सब आगामी चुनावों में मराठी और गैर-मराठी के बीच संघर्ष पैदा करने और इसका फायदा उठाने का प्रयास है?” कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने मांग की कि राज्य सरकार को हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में लागू करने संबंधी अधिसूचना को तुरंत वापस लेना चाहिए।

उन्होंने कहा, महाराष्ट्र की मातृभाषा मराठी है, लेकिन शिक्षा और प्रशासन में मराठी और अंग्रेजी का उपयोग किया जाता है। ऐसी स्थिति में हिंदी को जबरन तीसरी भाषा के रूप में थोपना मराठी के साथ अन्याय है और मराठी भाषियों की पहचान पर हमला है।

सीएम फडणवीस ने फैसले का किया बचाव

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के कदम का बचाव किया है और केंद्र की भाषा नीति की प्रशंसा की है। मुख्यमंत्री ने कहा, “अगर कोई अंग्रेजी सीखना चाहता है, तो वह अंग्रेजी सीख सकता है। अगर कोई कोई दूसरी भाषा सीखना चाहता है, तो किसी को दूसरी भाषा सीखने से कोई रोक नहीं है। सभी को मराठी आनी चाहिए। साथ ही, हमारे देश की दूसरी भाषाएँ भी आनी चाहिए। केंद्र सरकार ने इस बारे में सोचा है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने दावा किया था कि कई राज्यों द्वारा हिंदी अपनाने के कारण मराठी समेत 25 भारतीय भाषाओं को नुकसान पहुंचा है। उनके बेटे उदयनिधि स्टालिन ने तो यहां तक ​​कह दिया था कि हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कई राज्यों ने कदम उठाए हैं।

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