India News (इंडिया न्यूज), Akhilesh On Lateral Entry: लेटरल एंट्री को लेकर मचे राजनैतिक घमासान के बीच लोक कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ जीतेन्द्र सिंह ने संघ लोक सेवा आयोग को पत्र लिखा है। इस पत्र में मंत्री ने आयोग से लेटरल एंट्री के आधार पर की गई है भर्तियों को वापस लेने को कहा है। जीतेन्द्र सिंह में पीएम मोदी से बात करने के बाद चिठ्ठी लिखी थी। वहीं अब इस मामले पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने एक्स पर लिखा कि यूपीएससी में लेटरल एन्ट्री के पिछले दरवाज़े से आरक्षण को नकारते हुए नियुक्तियों की साज़िश आख़िरकार पीडीए की एकता के आगे झुक गयी है। सरकार को अब अपना ये फ़ैसला भी वापस लेना पड़ा है।
अखिलेश यादव ने दी प्रतिक्रिया?
बता दें कि, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादाव ने एक्स पर लिखा कि भाजपा के षड्यंत्र अब कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। ये PDA में आए जागरण और चेतना की बहुत बड़ी जीत है। उन्होंने आगे कहा की इन परिस्थितियों में समाजवादी पार्टी ‘लेटरल भर्ती’ के ख़िलाफ़ 2 अक्टूबर से शुरू होने वाले आंदोलन के आह्वान को स्थगित करती है। साथ ही ये संकल्प लेती है कि भविष्य में भी ऐसी किसी चाल को कामयाब नहीं होने देगी व पुरज़ोर तरीके से इसका निर्णायक विरोध करेगी। सपा सांसद ने लिखा कि जिस तरह से जनता ने हमारे 2 अक्टूबर के आंदोलन के लिए जुड़ना शुरू कर दिया था। ये उस एकजुटता की भी जीत है। लेटरल एंट्री ने भाजपा का आरक्षण विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है।
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जीतेन्द्र सिंह ने लिखी चिठ्ठी
लोक कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ जीतेन्द्र सिंह ने यूपीएससी को लिखी चिठ्ठी में कहा कि साल 2014 से पहले लेटरल एंट्री के जरिए हुई भर्तियां एड-हॉक आधारित थीं। इसमें कई बार पक्षपात के मामले भी सामने आए। हमारी सरकार की कोशिश इस प्रक्रिया को संस्थागत रूप से बेहतर, पारदर्शी और खुला बनाने की है। प्रधानमंत्री का दृढ़ विश्वास है कि लेटरल एंट्री की प्रक्रिया को हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के साथ जोड़कर रखा जाना चाहिए, खासतौर पर आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में है। उन्होंने आगे चिठ्ठी में लिखा कि पीएम का मानना है कि सरकारी नौकरी में आरक्षण हमारे सामाजिक न्याय के ढांचे की आधारशिला है, जिसका मकसद ऐतिहासिक रूप से अन्याय सहने वाले लोगों को मौका देना और समावेशिता को बढ़ावा देना है।
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