India News (इंडिया न्यूज़), Akshaya Tritiya 2023, दिल्ली: देश में आज यानी 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में इस दिन को दिवाली के समान माना जाता है। इस दिन का लोग बेसब्ररी से इंतजार करते है क्योकि इस दिन चारधाम यात्रा की शुरुआत होती है। बता दें इस दिन मां लक्ष्मी की खास पूजा की जाती है। लोगों की मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर मूल्यवान चीजों की खरीदारी करने से मां लक्ष्मी स्थाई रूप से घर में वास करती है। अक्षय तृतीया में पूजा-पाठ और हवन इत्यादि भी अत्याधिक सुखद परिणाम देते हैं। स्त्रियां अपने और परिवार की समृद्धि के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान और दान करने वालों को अक्षय (जिसका कभी क्षय न हो) पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं अक्षय तृतीया की पूजा की सामग्री, मुहूर्त और विधि।

जानें अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त

  • वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि शरू – 22 अप्रैल 2023, सुबह 07 बजकर 49 मिनट
  • वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि समाप्त – 23 अप्रैल 2023, सुबह 07 बजकर 47 मिनट
  • सोना खरीदने का मुहूर्त – 22 अप्रैल 2023, सुबह 07:49 बजे, वहीं 23 अप्रैल 2023 को सुबह 07:47 बजे
  • पूजा मुहूर्त – 22 अप्रैल 2023 को सुबह 07:49 बजे और दोपहर 12:20 बजे

पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री

अक्षय तृतीया पर पूजा करने के लिए पूजा की चौकी, चौकी पर बिछाने के लिए पीला कपड़ा, चंदन, कुमकुम, हल्दी, अक्षत, सत्तू, चने की दाल, पंचामृत, 2 मिट्‌टी का कलश (ढक्कन के साथ) फल, फूल, पंचपल्लव, दूर्वा, जौ, काले तिल, सफेद तिल, आम, मौली, घी, रूई, नारियल, पान, दीपक, दक्षिणा, अष्टगंध, धूप, मूर्ति (गणेश जी, मां लक्ष्मी, विष्णु जी), मिठाई, कपूर, सुपारी, गंगाजल, सोना या चांदी का सिक्का या जो आभूषण आप खरीदे सकते हो उसे जरूर लें।

अक्षय तृतीया पूजा विधि

  1. अक्षय तृतीया पर सबसे पहले गणपति जी का पूजन करें। अब दो मिट्‌टी के कलश को जल से भरें। पहले कलश में सिक्का, सुपारी, पीला फूल, जौ, चंदन डालकर ढक्कन लगा दें और उसपर श्रीफल रखें।
  2. अब दूसरे कलश में काला तिल, सफेद फूल, चंदन, डालकर इसे बंद कर दें और ऊपर से ढक्कन पर आम या खरबूजा रखें।
  3. अब चौक पूरकर इन दोनों कल को चौकी पर रखें।इस दौरान ये मंत्र बोलें ‘कलशस्य मुखे विष्णु कंठे रुद्र समाश्रिता: मूलेतस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मात्र गणा स्मृता:’
  4. पहला कलश भगवान विष्णु और दूसरा पितरों को समर्पित होता है। दोनों कलश की विधिपूर्वक पूजा करें।
  5. लक्ष्मी-नारायण को रौली, मौली, हल्दी, कुमकुम, फल, फूल अर्पित मां लक्ष्मी को कमल, मिठाई, चढ़ाते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें ‘ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नौ लक्ष्मी प्रचोदयात्’
  6. दोनों कलश दान कर दें। इसके साथ ही ब्राह्मण को भोजन कराएं
  7. इस दिन अबूझ मुहूर्त रहता है ऐसे में मूल्यवान चीजों की खरीदारी (जैसे सोना, चांदी, भूमि, वाहन, कौड़ी, एकाक्षी नारियल, दक्षिणावर्ती शंख घर लाकर मां लक्ष्मी को अर्पित करें। स्फटिक या क्रिस्टल का कछुआ, पारद शिवलिंग खरीदना भी शुभ होता है।

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