India News (इंडिया न्यूज), Anger over Waqf Amendment Bill: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। वक्फ बिल पर मोदी सरकार के समर्थन के बाद जेडीयू में बगावत के सुर तेज हो गए हैं। अब तक पार्टी के 6 मुस्लिम नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। ताजा घटनाक्रम में पूर्व प्रदेश सचिव एम राजू नायर और बेतिया जिला उपाध्यक्ष नदीम अख्तर ने पार्टी छोड़ दी है। इससे पहले भोजपुर के मोहम्मद दिलशाद राइन, प्रदेश महासचिव मोहम्मद तबरेज सिद्दीकी और पूर्व प्रत्याशी मोहम्मद कासिम अंसारी ने भी पार्टी से नाता तोड़ लिया था। हालांकि जेडीयू ने दावा किया है कि कासिम अंसारी कभी पार्टी के आधिकारिक सदस्य नहीं रहे।
वक्फ बिल का समर्थन करने पर पार्टी में बवाल
नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन विधेयक 2025 का समर्थन कर गठबंधन धर्म निभाने की कोशिश की, लेकिन इसका सीधा असर पार्टी के अल्पसंख्यक नेताओं पर पड़ा। पार्टी के कई नेता इस फैसले से असहमत हैं और इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों के खिलाफ बता रहे हैं। हालांकि, अब तक पूर्व राज्यसभा सांसद गुलाम गौस और गुलाम रसूल पार्टी के साथ हैं। लेकिन वे केंद्र सरकार से वक्फ बिल वापस लेने की मांग कर रहे हैं। गुलाम रसूल ने कहा कि बिल के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी और मामले को देश के सभी हाईकोर्ट में ले जाया जाएगा।
जदयू प्रवक्ता ने दी ये सफाई
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने इस्तीफों पर सफाई देते हुए कहा, “आरजेडी नेताओं ने मुस्लिम संपत्तियों पर कब्जा कर रखा है। बिहार में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री रहने पर ही अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं।” उन्होंने आरजेडी एमएलसी अनवर हुसैन पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे वक्फ संपत्तियों के सौदे में शामिल थे।
रालोद में भी उठे बगावत के सुर
वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करने के बाद जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) में भी असंतोष सामने आया है। हापुड़ जिले के एक प्रमुख नेता मोहम्मद जकी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उनका कहना है कि रालोद अब अपने रास्ते से भटक गई है और मुसलमानों और वंचित समुदायों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है।
चिराग पासवान को भी लगा झटका
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के भीतर भी हालात सामान्य नहीं हैं। पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष अली आलम ने इस्तीफा देकर नया मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह विधेयक मुसलमानों के हितों के खिलाफ है और पार्टी इस पर चुप है। बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में मुस्लिम नेताओं का इस तरह पार्टी छोड़ना बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है।
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