India News(इंडिया न्यूज), Aniruddhacharya: अनिरुद्धाचार्य जी जो कथा वाचक हैं साथ ही वे युवाओं को अध्यात्म के रास्ते पर आगे बढ़ाने, और मोटिवेशन देने का काम भी करते हैं। सोशल मीडिया पर भी अनिरुद्धाचार्य युवाओं के बीच काफी प्रसिद्ध हैं। वहीं, अनिरुद्धाचार्य जी हर बात को बेबाकी से कहते हैं। अनिरुद्धाचार्य जी ने इंडिया न्यूज से बात किया जहां उन्होने राम-रहीम, लिव इन रिलेशनशिप , हिन्दू-मुस्लिम शादी आदि कई मुद्दे पर बात की।
क्या राम-रहिम एक हैं ?
राम-रहीम के एक होने पर अनिरुद्धाचार्य जी ने कहा कि जो लोग कहते है कि राम-राहिम एक है वो गलत है। उन्होने कहा राम और रहिम यदि एक हैं तो ये बात सिर्फ मंदिरों से हि क्यों निकले मस्जिदों से भी निकले, हम तो तैयार हैं आपको गले लगाने के लिए पर केवल हम ही आपको गले लगाएं और आप हमारा गला काटें, दोनों तरफ से ना बात बनेगी। एक तरफा कैसा होगा, हमे तो कोई एतराज नहीं है सबको गले लगाने में, परंतु क्या हमारी तरह बड़प्पन सामने वालो में है। क्या हमारी तरह धैर्यता सामने वालों में है नहीं, इसलिए कहते-कहते तो वर्षों बीत ही गए ना, कि ईश्वर अल्हा तेरो नाम।
हिन्दू-मुस्लिम विवाह करना सही या गलत
हिन्दू-मुस्लिम विवाह को लेकर अनिरुद्धाचार्य जी ने कहा कि हम बार-बार कह चुके हैं कि हिन्दुओं को हिन्दुओं से ही विवाह करना चाहिए। मुस्लिम को मुस्लिम से ही विवाह करना चाहिए। हमारे यहां होता है समधी, हिन्दू संस्कृति में होता है समधी हमारी बेटी के ससूर को हम समधी मानेंगे। समधी का क्या अर्थ है ? सम का अर्थ है समान, धी मतलब होता है बुद्धि। तो हमारी और आपकी बुद्धि समान हो जाएगी। विचार मैच कर जाएगी तो हमारा आपसे संबध होगा। जैसे आप भी गाय को माता मानते हैं हम भी गाय को माता मानते हैं तो हमारे और आपके विचार एक जैसे हैं।
आप एकादशी करते हैं मै भी एकादशी करता हूं तो हमारे आपके विचार सेम हो गए। अब मै गाय को माता मानू और आप गाय को मार के खा जाएं तो हमारे विचार सेम कहां हुए। तो जिसके विचार सेम नहीं मिल रहे हैं वो हमारा समधी नहीं हो सकता। हिंदूओं के विचार मुस्लमानों से मिल ही नहीं रहे हैं तो जब हिंदुओं के विचार मुस्लमानों से मिल ही नहीं रहे हैं तो मुस्लमान समधी कैसे हो सकता है। कैसे बेटी और बेटे का ब्याह हो सकता है। हमारी शब्दावली इजाजत नहीं दे रही है धर्म तो छोड़िए।
विवाह क्या है ?
विवाह को लेकर अनिरुद्धाचार्य जी ने कहा कि यह एक मधुर रिश्ता है। हमारे यहां विवाह इसलिए होता है कि हम विवाह के बाद ही यज्ञ के अधिकारी होते हैं। बिना विवाह के आप यज्ञ मंडप में नहीं प्रवेश कर सकते हैं। चाहे पुरुष हो या स्त्री। तो हमारी पत्नी यज्ञ में हमारी सहयोगी है। हमारी पत्नी हमे यज्ञ का अधिकार देती है। वो यज्ञ जो इश्वर की प्राप्ती में सहयोगी है।
कुत्ते बिल्लियों का कल्चर है लिव इन रिलेशनशिप
लिव इन रिलेशनशिप को लेकर अनिरुद्धाचार्य जी ने कहा कि यह तो कुत्ते बिल्लियों का कल्चर है। यह तो जानवरों का कल्चर है। लिव इन में तो हमारे यहां कुत्ते रहते हैं। एक इंसान क्यों किसी महिला के साथ सम्बंध बनाएगा। पर स्त्री के साथ। पराई स्त्री से बचना चाहिए। पर स्त्री के चक्कर में क्यों पड़ना है शादी कर लो अपनी पत्नी के साथ रिलेशन में रहो कौन रोकने आ रहा है।