India News (इंडिया न्यूज)Arshad Madani: केंद्र सरकार द्वारा पारित वक्फ संशोधन अधिनियम 2025, जिसे कल रात राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है, अब बहुत जल्द कानून के रूप में विधिवत लागू हो जाएगा। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हमने पहले ही साफ कर दिया था कि अगर यह बिल कानून बनता है तो हम इसे देश की सर्वोच्च अदालत में चुनौती देंगे।

राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही जमीयत उलमा-ए-हिंद ने रविवार को इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर कर दी। उन्होंने कहा कि आप हमारे वक्फ बोर्ड में हिंदुओं को क्यों रख रहे हैं? जमीयत उलमा-ए-हिंद ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, क्योंकि यह भारतीय संविधान पर सीधा हमला है। यह संविधान सभी नागरिकों को न केवल समान अधिकार देता है, बल्कि पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता भी प्रदान करता है। यह बिल मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता को छीनने की साजिश है, जो पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है।

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तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों की आलोचना की

जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद की राज्य इकाइयां भी इस कानून के खिलाफ संबंधित राज्यों के उच्च न्यायालयों में याचिका दायर करेंगी। मौलाना मदनी ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है कि जैसे अन्य मामलों में न्याय हुआ, वैसे ही इस संवेदनशील और असंवैधानिक कानून पर भी हमें न्याय मिलेगा।

मौलाना मदनी ने तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों की आलोचना करते हुए कहा कि हमने इस कानून को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया, संविधान रक्षा सम्मेलन आयोजित किए ताकि उन लोगों की अंतरात्मा जागृत हो सके, जो सत्ता के लालच में संविधान की मूल भावना को भूल गए हैं। मौलाना मदनी ने कहा कि इन नेताओं का व्यवहार सांप्रदायिक ताकतों से भी ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि उन्होंने दोस्ती का दिखावा करके पीठ में छुरा घोंपा है।

संविधान में दिए गए अधिकारों का हनन

उन्होंने साफ कहा कि धर्मनिरपेक्ष जनता और खास तौर पर मुसलमान उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने उन सभी धर्मनिरपेक्ष सांसदों का शुक्रिया अदा किया जो देर रात तक संसद में रहे और अपने भाषणों के जरिए इस कानून के संभावित दुष्प्रभावों को उजागर किया।

उन्होंने उन नागरिकों का भी शुक्रिया अदा किया जो संसद के बाहर इस कानून के खिलाफ आवाज उठाते रहे। उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि आज भी देश में ऐसे लोग हैं जो अन्याय के खिलाफ बोलने का साहस और जज्बा रखते हैं। मौलाना मदनी ने दोहराया कि यह कानून न सिर्फ धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप है, बल्कि संविधान और उसके मार्गदर्शक सिद्धांतों द्वारा दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है।

वक्फ कानून को कोर्ट में चुनौती

उन्होंने कहा कि यह कानून मुसलमानों के कल्याण के नाम पर लाया गया है, लेकिन वास्तव में यह उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर गंभीर हमला है। मौलाना मदनी ने कहा कि हमें अल्लाह पर पूरा भरोसा है कि जिस तरह हमें कई अन्य महत्वपूर्ण मामलों में न्याय मिला है, उसी तरह हमें इस महत्वपूर्ण मामले में भी न्याय मिलेगा, क्योंकि यह मामला न केवल मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता का है, बल्कि संविधान की सर्वोच्चता का भी है।

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने न केवल वक्फ संशोधन अधिनियम की विभिन्न धाराओं को चुनौती दी है, बल्कि इस कानून के क्रियान्वयन पर रोक लगाने के लिए अंतरिम राहत (अंतरिम आदेश) की भी कोर्ट से अपील की है। यह याचिका संशोधन अधिनियम की धारा 1(2) के तहत दायर की गई है।

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