Gujarat Assembly Election: गुजरात में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसे लेकर सभी पार्टियों जोर-शोर से तैयारियां करने में लगी हुई हैं। ये चुनाव दिन व दिन और भी दिलचस्प होता जा रहा है। अभी तक केवल दिल्ली मॉडल और गुजरात मॉडल के बीच टक्कर देखने को मिल रही थी। लेकिन अब हैदराबाद मॉडल की भी गुजरात की सियासी जंग में एंट्री हो गई है। बता दें कि हैदराबाद मॉडल एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का है।

आपको बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी का सियासी कारवां इस बार उत्तर प्रदेश और बिहार होते हुए गुजरात पहुंच गया है। गुजरात के मुस्लिम वोटर ओवैसी के निशाने पर हैं। इन्हें रिझाने के लिए वह एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। जहां पर ओवैसी की पार्टी ने 7 कॉरपोरेटर जीते थे, ओवैसी उन्हीं इलाकों पर फोकस बना रहे हैं।

जानें क्या है ओवैसी का हैदराबाद मॉडल

  • मुस्लिम पैरोकारी
  • दलित-पिछड़ा गठबंधन, जिसके अंतर्गत मायावती और उपेंद्र कुशवाहा से बिहार में गठबंधन किया था, तो वहीं महाराष्ट्र में प्रकाश अंबेडकर से।
  • हैदराबाद में उनके अस्पताल और स्कूलों में जो रियायती दरों पर इलाज और शिक्षा करते हैं।

बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी का असर ऐसा है कि कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स भी अब मजलिस का झंडा उठाने लगे हैं। एक तरफ जहां ओवैसी हैं तो वहीं दूसरी ओर अरविंद केजरीवाल हैं। जो दिल्ली मॉडल के साथ-साथ गुजरात में जीत का मनसूबा भी रखते हैं। आम आदमी पार्टी के दिल्ली मॉडल में अस्पताल, स्कूल और फ्री बिजली का दावा किया है। इसके अलावा सॉफ्ट हिंदुत्व भी आप के एजेंडे पर है।

भाजपा का गुजरात मॉडल

जानकारी दे दें कि गुजरात की सियासी जंग में असदुद्दीन ओवैसी और अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ भाजपा का गुजरात मॉडल भी है। जो कि बीते 21 सालों से लगातार चल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात मॉडल बनाया। इस मॉडल की प्राथमिकता विकास और गुजरात का औद्योगीकरण है। हिंदुत्व और राष्ट्रवाद भी नउसका एक हिस्सा है। पीएम मोदी ने इसी मॉडल के साथ उन्होंने देश की राजनीति में कदम रखा था।

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