India News(इंडिया न्यूज), Bajrang Bali: बजरंग बली का नाम हनुमान कैसे पड़ा? भगवान श्रीराम के भक्त हनुमान के नाम के पीछे एक अनोखी पौराणिक कथा है। बजरंग बली का हनुमान नाम बचपन से नहीं था। तो उनका नाम पड़ा कैसे, ये सवाल सभी के मन में उठता है। भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान को कौन नहीं जानता। श्रीराम ने उन्हें चिरंजीवी रहने का वरदान दिया था। हनुमान को शिवजी का अवतार माना जाता है। बचपन में उन्हें केसरी नंदन कहकर पुकारते थे। उनका नाम हनुमान कैसे पड़ा, इसके पीछे एक दिलचस्प कथा है। चलिए आपको इस खबर में बताते हैं।

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कैसे हुआ था बजरंगबली का जन्म

एक बार की बात है अयोध्या के राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करवाया। यज्ञ पूरा होने के बाद राजा दशरथ ने प्रसाद रूपी खीर को अपनी तीनों रानियों कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी को बांट दिया। तभी वहां एक कौवा आया और खीर का एक भाग लेकर उड़ गया। उड़ता हुआ वह उस जगह पहुंच गया, जहां अंजनी पुत्र प्राप्ति के लिए शिवजी की आराधना कर रही थीं। यह सब शिव और वायुदेव के इशारे पर हो रहा था।

अंजनी ने देखा कि कौवा खीर लेकर आया है। अंजनी को लगा कि यह शिवजी की कृपा है। उन्होंने खीर को पी लिया और इसी प्रसाद से उन्होंने एक बलवान पुत्र को जन्म दिया। यह पुत्र पवनदेव का था। अंजनी के पति वानर राज केसरी थे। इसलिए अंजनी के पुत्र को पवनपुत्र और केसरी नंदन दोनों नामों से जाना गया।

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हनुमान नाम कैसे पड़ा?

बजरंग बली जब छोटे थे तब उन्हें बहुत भूख लगती थी। एक बार उन्होंने अपनी मां अंजनी से खाने के लिए मांगा। अंजनी तब कुछ काम कर रही थीं। इसलिए उन्होंने अपने पुत्र से कहा कि बाहर जाओ और फल खा लो। जितने भी पके हुए फल हैं, वो खाने योग्य हैं। बजरंग बली भूख से व्याकुल हो रहे थे। वे बाहर गए और फल खाने लगे और तभी उन्हें आसमान में उन्हें चमकता हुआ सूरज दिखाई दिया। बजरंग बली को लगा कि यह भी एक फल है। उन्होंने अपनी शक्ति से लंबी छलांग लगाकर सूर्य के पास पहुंच गए और उसे अपने मुंह में रख लिया। बजरंग बली की इस हरकत से धरती पर अंधेरा छा गया। इंद्रलोक तक हाहाकार मच गया। तब सभी देव इंद्र के पास गए और कहा कि एक वानर ने सूर्यदेव को अपने मुंह में रख लिया है। सभी देवों ने इंद्रदेव से इस समस्या का हल निकालने की विनती की।

तब इंद्रदेव आए। उन्होंने वज्र लहराया और बजरंग बली की ठोड़ी पर प्रहार कर दिया। बजरंग बली बेहोश होकर गिर पड़े। उनके जबड़े पर चोट लग गई। इंद्र के इस कदम से पवन देव नाराज हो गए। तब इंद्र ने हनुमान को फिर से होश में लाए। ठोड़ी को हनु भी कहते हैं। मान का अर्थ विरूपित होता है। इस तरह बजरंग बली का नाम हनुमान पड़ गया।