India News(इंडिया न्यूज), Bengaluru: किसी भी देश की तरक्की तबतक नहीं हो सकती है, जब उस देश में बच्चे सुरक्षित ना हो। Bengaluru में बाल सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बाल तस्करी अभियान चलाया जा रहा था। पुलिस आयुक्त बी दयानंद ने आज (मंगलवार) को घोषणा की है कि शहर में बाल तस्करी अभियान को खत्म कर दिया गया है। इस अभियान के माध्यम से सात लोगों की गिरफ्तारी की गई है। साथ ही उन्होंने अवैध गतिविधि में डॉक्टरों की भागीदारी के संदेह का संकेत दिया है। पुलिस अभियान के दौरान राजराजेश्वरी नगर में एक 20 दिन के बच्चे को बचाया गया।

  • नि:संतान माता-पिता को आठ लाख रुपये से 10 लाख रुपये में बेचा जाता
  • तमिलनाडु के डॉक्टरों की भागीदारी की जांच की जा रही है

आधिकारिक तौर पर मामला दर्ज

पुलिस सूत्रों ने पकड़े गए व्यक्तियों की पहचान सुहासिनी, गोमती, कन्नन रामास्वामी, हेमलता, शरण्या, महालक्ष्मी और राधा के रूप में की है। गिरफ्तारी के संबंध में राजराजेश्वरी नगर पुलिस स्टेशन में आधिकारिक तौर पर मामला दर्ज किया गया है। गिरफ्तार किए गए गिरोह पर चोरी और उसके बाद बांझपन की समस्या से जूझ रहे दंपत्तियों को नवजात शिशुओं को काफी कीमत पर बेचने में शामिल होने का आरोप है।

बताया जा रहा है कि Bengaluru में तस्करी किए गए बच्चों की एक बड़ी संख्या पड़ोसी राज्य तमिलनाडु से लाई गई थी। बी दयानंद ने बताया कि “यह एक बड़ा रैकेट है जिसमें तस्करी किए गए बच्चों को नि:संतान माता-पिता को आठ लाख रुपये से 10 लाख रुपये में बेचा जाता है। पूछताछ में पता चला है कि उन्होंने अब तक 10 बच्चे बेचे हैं।”

पुलिस आयुक्त ने दी जानकारी

आयुक्त दयानंद के अनुसार, रैकेट को एक विशाल नेटवर्क का समर्थन प्राप्त है। यह गिरोह अपने संचालन में तमिलनाडु के कुछ डॉक्टरों को शामिल करता है। उनका कहना है कि “यह गिरोह कई सालों से काम कर रहा था। अभी हाल ही में उनकी गतिविधियां सामने आईं। सभी को पुलिस हिरासत में ले लिया है। उनसे पूछताछ की जा रही हैं।” पुलिस आयुक्त ने कहा कि इसके अलावा, यह गिरोह शिशुओं की बेचने के बाद निःसंतान माता-पिता को नकली कागजात भी उपलब्ध कराता था। हमें पता चला है कि कुछ डॉक्टर इस रैकेट में शामिल हैं। हम सक्रिय रूप से तमिलनाडु के डॉक्टरों की भागीदारी की जांच कर रहे हैं।”

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