India News(इंडिया न्यूज़), Bhishma Ashtami 2024: महाभारत काल में कई ऐसी घटनाएं घटी हैं, जो इंसान को हैरान कर देती हैं। ऐसी ही एक घटना है धनुर्धारी अर्जुन द्वारा भीष्म पितामह को बाणों की शय्या पर लिटा देने की। चूँकि पितामह भीष्म को अपनी इच्छानुसार प्राण त्यागने का वरदान प्राप्त था इसलिये कई बाणों से घायल होने के बावजूद भी उन्होंने अपनी इच्छानुसार अपने प्राण त्याग दिये। इस दिन को भीष्म अष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
भीष्म अष्टमी का शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि 16 फरवरी को सुबह 08:54 बजे शुरू हो रही है. वहीं, इसका समापन 17 फरवरी को सुबह 08:15 बजे होगा. ऐसे में भीष्म अष्टमी का पर्व 16 फरवरी, शुक्रवार को मनाया जाएगा. इस दौरान दोपहर का समय इस प्रकार रहेगा-
दोपहर का समय- सुबह 11:28 बजे से 01:43 बजे तक
भीष्म अष्टमी का महत्व
भीष्म अष्टमी का पर्व भीष्म पितामह के तर्पण की तिथि पर मनाया जाता है। भीष्म पितामह ने ब्रह्मचारी जीवन जीने की प्रतिज्ञा ली थी। इसके अलावा, उसे अपनी इच्छा के अनुसार मृत्यु का समय चुनने का वरदान भी प्राप्त था। भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्यागने के लिए माघ शुक्ल अष्टमी को चुना, क्योंकि इस समय तक सूर्य देव उत्तरायण की ओर बढ़ने लगे थे। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह समय शुभ माना जाता है।
क्या है इसका मान्यता
ऐसा माना जाता है कि जो भक्त भीष्म अष्टमी के दिन व्रत रखता है उसे संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही इस तिथि पर पितरों को तर्पण और दान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। इसके साथ ही भीष्म अष्टमी के दिन जो व्यक्ति भीष्म पितामह के लिए तर्पण और जल दान करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
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