Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 1984 में हुई त्रासदी के पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजा देने की याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) की उत्तराधिकारी कंपनियों से अतिरिक्त 7,844 करोड़ रुपये की मांग वाली केंद्र की ओर से दायर क्यूरेटिव याचिका पर अपना फैसला दिया है। इस त्रासदी में 3,000 से अधिक लोग मारे गए थे और पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचा था।

लापरवाही पर केंद्र को फटकार

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि समझौते के दो दशक बाद केंद्र द्वारा इस मुद्दे को उठाने का कोई औचित्य नहीं बनता। शीर्ष अदालत ने कहा कि पीड़ितों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के पास पड़ी 50 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल केंद्र सरकार लंबित दावों को पूरा करने के लिए करे। पीठ ने कहा, ‘‘ हम दो दशकों बाद इस मुद्दे को उठाने के केंद्र सरकार के किसी भी तर्क से संतुष्ट नहीं हैं … हमारा मानना है कि उपचारात्मक याचिकाओं पर विचार नहीं किया जा सकता है।’’

केंद्र ने दिसंबर 2010 में दायर की थी क्यूरेटिव याचिका

केंद्र 1989 में हुए समझौते के हिस्से के रूप में अमेरिकी कंपनी से प्राप्त 715 करोड़ रुपये के अलावा अमेरिका स्थित यूसीसी की उत्तराधिकारी कंपनियों से 7,844 करोड़ रुपये और चाहता है। मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए केंद्र ने दिसंबर 2010 में शीर्ष अदालत में क्यूरेटिव याचिका दायर की थी। केंद्र इस बात पर जोर देता रहा है कि 1989 में मानव जीवन और पर्यावरण को हुई वास्तविक क्षति का ठीक से आकलन नहीं किया जा सका था।

यूनियन कार्बाइड संयंत्र ने दिया था 47 करोड़ डॉलर का मुआवजा

भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड संयंत्र से दो-तीन दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि को जहरीली मिथाइल आइसोसायनेट गैस का रिसाव होने लगा था जिसके कारण 3000 से अधिक लोग मारे गए थे, 1.02 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे और पर्यावरण को गंभीर नुकसान हुआ था। यूनियन कार्बाइड संयंत्र ने तब 47 करोड़ डॉलर का मुआवजा दिया था। इस कंपनी का स्वामित्व अब डाउ जोन्स के पास है।

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