India news (इंडिया न्यूज़), caste census: बिहार में जाति आधारीत जनगणना को लेकर विभिन्य याचिकाओं पर सुप्रिम कोर्ट ने बिहार सरकार से जवाब मांगा है। बिहार सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि वो जाति जनगणना की डाटा जनता के बीच में नहीं रखेंगी। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एस वी एन भट्टी की पीठ के सामने बिहार सरकार ने कहा कि हमने गणना पूरी कर ली है। याचिका में कहा गया है कि जातिगत सर्वे का डाटा सार्वजनीक नहीं करना चाहिए। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा डाटा सार्वजनीक करने का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है। याचिकाकर्ताओं के वकील सीएम वैद्यनाथन ने पुट्टास्वामी मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के 8 जजों की पीठ के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि ये सर्वे निजता के अधिकार का हनन कर सकता है। इसपर बिहार सरकार के वकील ने कहा सर्वे कैसे निजता का अधिकार का हनन कर सकता है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा यह संविधान का आदेश नहीं
सर्वे में दो तरह का डाटा होता है एक वयक्तिगत डाटाा जिसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। दूसरा होता है आकड़ो का विश्लेषण करना जो एक तस्वीर बनकर सामने आती है। याचिकाकर्ताओं के तरफ से कहा गय कि जाति जनगणना कोई संविधान का आदेश नहीं है, यह तो बिहार सरकार का आदेश है।
निजता के साथ खिडवाड़
6 अगस्त को जाति जनगणना का काम पुरा कर लिया गया है। 12 अगस्त को ही इसकी सूचना सरकार ने साइ़ड पर डाल दिया है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि किसी भी इंसान की निजता के साथ आप खिडवाड़ नहीं कर सकते है यह निजता का मामला बनता है। यह राज्य सरकार के कार्यकारी आदेश के बिना नहीं किया जा सकता। बता दें कि बिहार में जाति जनगणना को लेकर कई बार प्रदेश की सरकार और एक दूसरे के आमने सामने रहे है। पहले पटना उच्य न्यालय ने जाति जनगणना कराने से रोक लगा दी थी, फिर बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी।
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