India News (इंडिया न्यूज़), BSF Jawan Took VRS After 20 Years Of Service: केंद्र सरकार ने हाल ही में एक नई पेंशन योजना, ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ (यूपीएस), लागू करने की घोषणा की है, जो अगले साल 1 अप्रैल से प्रभावी होगी। हालांकि, इस फैसले को लेकर सरकारी कर्मचारियों में गहरी नाराजगी है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि वे अब भी ‘पुरानी पेंशन योजना’ (ओपीएस) या उसके समकक्ष आर्थिक फायदे देने की मांग पर अड़े हैं। उनके अनुसार, सरकार को दो प्रमुख मुद्दों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

वीआरएस के लिए पेंशन का आधार 25 साल से घटाकर 20 साल किया जाए

कर्मचारी संगठनों का मानना है कि सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए पेंशन का आधार, जिसे अब तक 25 साल सेवा के बाद 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में निर्धारित किया गया है, इसे 20 साल सेवा के बाद लागू किया जाए। इस बदलाव से कर्मचारियों को पहले की तुलना में अधिक राहत मिलेगी और वे अपनी सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा महसूस करेंगे।

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अंशदान की जीपीएफ की तरह पूरी वापसी और 50 प्रतिशत पेंशन की गारंटी

कर्मचारी संगठनों ने यह भी मांग की है कि जैसे सरकारी कर्मचारी भविष्य निधि (जीपीएफ) में अपनी अंशदान की पूरी राशि प्राप्त करते हैं, वैसे ही यूपीएस में सेवानिवृत्ति, अनिवार्य सेवानिवृत्ति या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर कर्मचारी अंशदान की पूरी राशि लौटाई जाए। इसके अलावा, कर्मचारियों को 50 प्रतिशत पेंशन की गारंटी दी जानी चाहिए।

कर्मचारियों की नाराजगी और तुलना

यह मांग तब और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है, जब हम देखते हैं कि एक बीएसएफ जवान संदीप कुमार, जिन्होंने हाल ही में वीआरएस लिया, को केवल 11,500 रुपये मासिक पेंशन मिल रही है। जबकि यदि वह पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) में होते, तो उन्हें 32,742 रुपये प्रति माह पेंशन मिलती। यूपीएस में भी उनकी पेंशन 29,194 रुपये प्रति माह होती, जो कि ओपीएस के मुकाबले बहुत कम है।

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इससे यह स्पष्ट होता है कि यूपीएस से कर्मचारी लाभ की बजाय नुकसान में हैं। ओपीएस में पेंशन की गणना कर्मचारियों के बेसिक वेतन का 50 प्रतिशत से होती है, और इसमें कई अतिरिक्त लाभ भी मिलते हैं, जैसे जीपीएफ फंड की वापसी। यूपीएस में हालांकि, कर्मचारियों को यह फायदे नहीं मिलते, और उनकी पेंशन का आधार सिर्फ 40 प्रतिशत से तय किया जाता है, जिससे उनका मासिक पेंशन कम हो जाता है।

कर्मचारी संगठनों की प्रतिक्रिया और संघर्ष

ऑल इंडिया एनपीएस एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने बताया कि कर्मचारी संगठनों ने वित्त मंत्रालय को अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपा है और उम्मीद जताई है कि सरकार इन मुद्दों पर सहानुभूति से विचार करेगी। इसके साथ ही, उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन किसी पार्टी विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह से भारत सरकार से है।

वहीं, अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बुलाई गई कर्मचारी संगठनों की बैठक का बहिष्कार किया था। एआईडीईएफ की मांग थी कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए, और कर्मचारियों को एनपीएस में सुधार या कोई नई पेंशन योजना मंजूर नहीं है। इसी तरह, रेलवे के कर्मचारी संगठनों ने भी यूपीएस के खिलाफ आवाज उठाई है और यह बताया है कि जब तक पुरानी पेंशन योजना बहाल नहीं होती, तब तक वे शांत नहीं बैठेंगे।

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हस्ताक्षर अभियान और आंदोलन

इन मांगों को लेकर देशभर में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें लाखों कर्मचारी भाग ले रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ एक आर्थिक अधिकार की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह उनकी नौकरी और भविष्य की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है।

सरकार की स्थिति और भविष्य

हालांकि, केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि 1 अप्रैल 2025 से नई ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ लागू की जाएगी, लेकिन कर्मचारी संगठन इसके प्रति नाखुश हैं। उनका कहना है कि जब तक पुरानी पेंशन योजना बहाल नहीं होती, तब तक वे सरकार के इस कदम को स्वीकार नहीं करेंगे।

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नई पेंशन व्यवस्था का मुद्दा कर्मचारियों के लिए एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। आगामी दिनों में कर्मचारी संगठनों और सरकार के बीच इस पर और बातचीत होने की उम्मीद है।