इंडिया न्यूज, अंबाला:
कांग्रेसियों के बीच कलह और कैप्टन अमरिंदर के इस्तीफे की बात नई नहीं है, बल्कि इसके समीकरण पहले से बनने लगे थे। इसकी शिकायत लेकर लगभग तीन महीने पहले जून में कैप्टन दिल्ली पहुंचे थे। हाईकमान की समिति कैप्टन के खिलाफ उठ रही आवाज को शांत कर अगले चुनाव के लिए पार्टी की छवि सुधारने का रास्ता तलाश रही थी, जो हो न सका। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब कांग्रेस के अंतर्कलह को खत्म करने के लिए हाईकमान की ओर से गठित तीन सदस्यीय समिति से मिले थे। इस मौके पर समिति में शामिल हरीश रावत भी मौजूद थे।

कलह को बताया था चुनावी बैठक:

दूसरी ओर इस बैठक के बाद कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कहा था कि प्रदेश में पार्टी के भीतर कोई झगड़ा नहीं है। 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों और रणनीति को लेकर विचार-विमर्श चल रहा है। जहां तक समिति के साथ बातचीत का सवाल है तो वह गोपनीय है। जो भी उन्होंने पूछा, उसका जवाब दे दिया है।  तिवारी ने कहा कि ये पार्टी की प्रथा है कि जिस राज्य में चुनाव होने वाले हैं, वहां क्या रणनीति होनी चाहिए, क्या मुद्दे होने चाहिए, जनता के समक्ष क्या बातें रखनी चहिए, उन पर विचार होता है। ये पहली बार नहीं हो रहा है।

पहले भी सिद्धू समेत 25 नेताओं ने जताई थी आपत्ति

विधायकों, सांसदों समेत करीब 25 नेताओं ने समिति से मुलाकात कर शिकायत दर्ज करवाई थी। इनमें पूर्व मंत्री नवजोत सिद्धू भी शामिल थे। उच्च स्तरीय समिति की ओर से नेताओं को बयानबाजी से परहेज की दी हिदायत का नवजोत सिंह सिद्धू पर कोई फर्क नहीं पड़ा। समिति के सामने अपनी बात रखने के बाद बाहर आए सिद्धू के वही तेवर दिखे जो लंबे समय से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ रहे हैं। सिद्धू ने कहा, मेरा जो स्टैंड था वही रहेगा। उनका कहना है कि योद्धा वही है जो रण के अंदर जूझे। सत्य प्रताड़ित हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं।

अमरिंदर ने की थी सिद्धू के बड़बोलेपन की शिकायत:

कैप्टन के समर्थन में भी विधायकों का गुट सक्रिय है जिसने सिद्धू के बड़बोलेपन, अनुशासनहीनता और वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा की शिकायत की है। बेअंत सिंह के परिवार से विधायक गुरकीरत सिंह कोटली ने कहा, सिद्धू को इतनी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। पार्टी में नेताओं के बीच कोई टेंशन नहीं है। सबके अलग विचार हो सकते हैं अपनी बात कहने का लोकतांत्रिक अधिकार है। मीडिया में अलग अलग बातें पार्टी को कमजोर करती हैं।

तब कैप्टन के खिलाफ थे 20 नेता अब 40

जून माह में समिति से मुलाकात करने वाले नेताओं ने शिकायतों का पिटारा खोल दिया है, लेकिन किसी ने भी पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन की बात नहीं कही है। समिति अब तक यह मान रही है कि कैप्टन की कार्यप्रणाली के खिलाफ पंजाब में केवल 20 नेता ही हैं, बाकी सभी कैप्टन के साथ हैं, लेकिन आज इस कार्रवाई के दौरान 40 ने आपत्ति दर्ज कराई थी।

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