India News (इंडिया न्यूज)Caste Census: इस समय केंद्र की मोदी सरकार ने देश में जाति आधारित जनगणना कराने का फैसला किया है। लंबे समय से चली आ रही इस मांग को अब केंद्र ने हरी झंडी दे दी है। एक तरफ जहां इस बात ने पूरे देश में सियासत गरमा दी है, वहीं विपक्ष इसे अपनी बड़ी जीत के तौर पर देख रहा है। विपक्ष का कहना है कि कांग्रेस और सपा लंबे समय से जाति आधारित जनगणना की मांग कर रही थी, जिस पर अब केंद्र ने फैसला लिया है। उम्मीद है कि जनगणना इसी साल शुरू होकर 2026 तक चल सकती है। लेकिन जनगणना से पहले आइए जानते हैं कि देश में सबसे ज्यादा किस जाति के लोग रह रहे हैं।
भारत के खौफ में पाकिस्तान ने गलती से रच दिया इतिहास, इस एक इंसान ने पूरे मुल्क में मचाया हंगामा, जंग से पहले बड़ी खबर
जाति जनगणना का मतलब क्या है? Caste Census
जाति जनगणना का सीधा मतलब यह है कि देश में किस जाति के कितने लोग रहते हैं, इसके बारे में स्पष्ट आंकड़े रखे जाएं। हालांकि देश में पहले भी जाति आधारित जनगणना हो चुकी है, लेकिन उस दौरान उसमें ओबीसी को शामिल नहीं किया गया था। इसीलिए जब भी जाति जनगणना की बात होती है तो सबसे पहले ओबीसी का नाम लिया जाता है। इस बार जाति के आधार पर जो जनगणना होगी, उसमें भी ओबीसी पर नजर रहेगी।
भारत में सबसे ज़्यादा कौन सी जाति है
जब 2011 में जनगणना हुई थी, तब 46 लाख जातियाँ सामने आई थीं. माना जाता है कि देश में सबसे ज़्यादा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) है. 1931 में हुई जनगणना में पिछड़ी जातियों की आबादी 52 प्रतिशत से ज़्यादा थी। दरअसल, जब देश में मंडल आयोग लागू हुआ था, उस समय बताया गया था कि देश में ओबीसी वर्ग 52 प्रतिशत है। तब वीपी सरकार जिस 52 प्रतिशत के आंकड़े पर पहुँची थी, उसका आधार 1931 की जनगणना थी। हालाँकि, यह आंकड़ा तभी सही माना जा सकता है, जब दोबारा जनगणना हो।
जाति जनगणना का क्या फ़ायदा
जाति जनगणना का समर्थन करने वालों का मानना है कि जनगणना से ही जाति के बारे में पता चलेगा। जनगणना के बाद ही सामाजिक, शैक्षणिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति के बारे में चीज़ें स्पष्ट होती हैं। इसके बाद ही ओबीसी जातियाँ सरकार से अपने हिसाब से चीज़ों की माँग कर सकती हैं।