India News (इंडिया न्यूज़), Chandrayaan-3, श्रीहरिकोटा: इसरो वैज्ञानिकों ने लांच यान से उपग्रह के सफल अलग करने की घोषणा की। उपग्रह को अब चंद्रमा की यात्रा शुरू करने के लिए संबंधित कक्षा में स्थापित कर दिया गया है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन Chandrayaan-3 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ और उनकी टीम को बधाई दी।

  • परियोजना निदेशक ने बधाई दी
  • अंतरिक्ष यान का स्वास्थ्य सामान्य
  • वजह 3900 किलोग्राम है

Chandrayaan-3 के परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल और इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने LVM3 M4 वाहन को सफलतापूर्वक कक्षा में लॉन्च करने के बाद अपनी खुशी साझा की। Chandrayaan-3, अपनी सटीक कक्षा में, चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर चुका है। अंतरिक्ष यान का स्वास्थ्य सामान्य है।

वजन 3,900 किलोग्राम

आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के बहुप्रतीक्षित चंद्रयान -3 (Chandrayaan-3) मिशन को आज लांच कर दिया। अपने निर्धारित समय 2:35 बजे इसे लांच किया गया। Chandrayaan-3 एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैस है। इसका वजन करीब 3,900 KG है।

क्यों है महत्वपूर्ण?

GSLV मार्क-3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन है जो चंद्रमा लैंडर और रोवर को अंतरिक्ष में छोड़ेगा।अंतरिक्ष यान के लिए पृथ्वी से चंद्रमा तक की यात्रा में लगभग एक महीने का समय लगने का अनुमान है और लैंडिंग 23 अगस्त को होने की उम्मीद है। लैंडिंग पर, यह एक चंद्र दिन तक काम करेगा जो लगभग 14 पृथ्वी दिवस के बराबर है। चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है।

चंद्रयान-2 विफल रहा था

Chandrayaan-2 मिशन को 2019 में चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान चुनौतियों का सामना करने के बाद अंततः इसे अपने मुख्य मिशन उद्देश्यों में विफल माना गया। Chandrayaan-3 इसरो का फिर से किया गय प्रयास है। Chandrayaan-3 का विकास चरण जनवरी 2020 में शुरू हुआ और लॉन्च की योजना 2021 में थी, लेकिन Covid-19 महामारी के कारण मिशन में कुछ देरी हुई। Chandrayaan-3 की सफलता से भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान जैसे कार्यक्रमों का मनोबल बढ़ेगा।

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