देशभर में छठ के महापर्व का आज समापन हो गया. तीन दिन के इस त्योहार के आखिरी दिन महिलाओं ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया. सूर्य को अर्घ्य देने के साथ के साथ ही इस महापर्व का समापन हो गया। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे की इस पूजा में अर्घ्य का क्या महत्व है। बता दे छठ पूजा के दौरान भगवान सुर्य को दो बार छठ को अर्घ दिया जातै है। पहला अर्घ्य समापन्न के एक दिन पहले शाम को ढ़लते सुर्य को दिया जाता है। तो वहीं दूसरा अर्घ्य समापन्न के दिन सुबह में उगते सुर्य को अर्घ्य देकर करते हैं
क्यों देते हैं सूर्य को अर्घ्य

छठ पूजा का अंतिम और आखिरी दिन ऊषा अर्घ्य होता है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. जिसके बाद छठ के व्रत का पारण किया जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उदितनारायण सूर्य को अर्घ्य देती हैं और सूर्य भगवान और छठी मैया से संतान की रक्षा और परिवार की सुख-शांति की कामना करती हैं. इस पूजा के बाद व्रती कच्चे दूध, जल और प्रसाद से व्रत का पारण करती हैं।

अर्घ्य देते समय इन बातों का रखना चाहिए ध्यान

1. सूर्य देव को अर्घ्य देते समय अपना चेहरा पूर्व दिशा की ओर ही रखें

2. सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए हमेशा तांबे के लोटे का प्रयोग करें.

3. सूर्य देव को अर्घ्य देते समय जल के पात्र को हमेशा दोनों हाथों से पकड़े.

4. सूर्य को अर्घ्य देते समय पानी की धार पर पड़ रही किरणों को देखना शुभ माना जाता है.

5. अर्घ्य देते समय पात्र में अक्षत और लाल रंग का फूल जरूर डालें.

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