India News (इंडिया न्यूज), CM Fadnavis On Hindi Row: महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर छिड़े विवाद के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने स्पष्टीकरण दिया है कि राज्य में मराठी भाषा का बोलबाला रहेगा और हिंदी थोपने की कोई साजिश नहीं है। बयान के साथ-साथ फडणवीस ने लोगों को आड़े हाथों भी लिया और सीधे लोगों की सोच पर ही सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि मुझे आश्चर्य है कि हम हिंदी जैसी अपनी भारतीय भाषाओं का विरोध करते हैं, लेकिन अंग्रेजी की तारीफ करते हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को राज्य में हिंदी भाषा को ‘थोपे जाने’ की चिंताओं को खारिज कर दिया और कहा कि मराठी भाषा अनिवार्य बनी रहेगी।

विपक्षी दलों ने लगाया आरोप

महाराष्ट्र में हिंदी थोपने के विवाद पर पूरा विपक्ष हमलावर हो गया। उद्धव ठाकरे की शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तीन-भाषा फॉर्मूले को लागू करने की मंजूरी दिए जाने के बाद महाराष्ट्र में हिंदी थोपी जा रही है। पुणे में भंडारकर शोध संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा, “यह कहना गलत है कि हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है। महाराष्ट्र में मराठी अनिवार्य रहेगी। इसके अलावा कोई अन्य अनिवार्य भाषा नहीं होगी।”

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फडणवीस ने दी ये प्रतिक्रिया

स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने की सरकार की मंजूरी पर उठे विवाद पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की प्रतिक्रिया सामने आई है। जिसमें उन्होंने कहा कि, “हमें यह समझने की जरूरत है कि मराठी की जगह हिंदी को अनिवार्य नहीं बनाया गया है। मराठी भाषा अनिवार्य है।” आगे उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में कहा गया है कि छात्रों को पढ़ाई जाने वाली तीन भाषाओं में से दो भारतीय भाषाएं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, “नई शिक्षा नीति ने तीन भाषाएं सीखने का अवसर प्रदान किया है। भाषा सीखना महत्वपूर्ण है। नियम कहता है कि इन तीन भाषाओं में से दो भारतीय होनी चाहिए। मराठी पहले से ही अनिवार्य है। आप हिंदी, तमिल, मलयालम या गुजराती के अलावा कोई दूसरी भाषा नहीं ले सकते।

उन्होंने कहा कि सिफारिशों के अनुसार हिंदी भाषा के लिए शिक्षक उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा, “अन्य (क्षेत्रीय) भाषाओं के मामले में शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं।” फडणवीस ने भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी के बारे में लोगों की धारणा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “मैं एक बात से हैरान हूं। हम हिंदी जैसी भारतीय भाषाओं का विरोध करते हैं, लेकिन अंग्रेजी की प्रशंसा करते हैं। कई लोगों को ऐसा क्यों लगता है कि अंग्रेजी उनके करीब है और भारतीय भाषाएं उनसे बहुत दूर हैं? हमें इस बारे में भी सोचना चाहिए।”

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