India News (इंडिया न्यूज),UP:उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर सीट पर बड़ी जीत दर्ज कर भाजपा ने पिछले साल जून में हुए लोकसभा चुनाव में अयोध्या की फैजाबाद सीट पर मिली हार का बदला ले लिया है। वहीं, मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में मिली हार ने मिशन-2027 की तैयारी में जुटी समाजवादी पार्टी की चुनौतियां बढ़ा दी हैं। भाजपा की ओर से जहां सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस सीट पर चंद्रभानु पासवान के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी, वहीं समाजवादी पार्टी की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पूरी ताकत झोंक दी थी।

मिल्कीपुर उपचुनाव के नतीजे सामने आने के बाद कहा जा रहा है कि सीएम योगी ने महज 8 महीने में ही अयोध्या में अखिलेश यादव पर बाजी पलट दी। शनिवार को मतगणना के बाद सामने आए नतीजों ने जहां सीएम योगी की रणनीति को बंपर सफलता साबित किया, वहीं यह भी साफ कर दिया कि पीडीए फॉर्मूले को जीत का मंत्र मानने वाली समाजवादी पार्टी को मिशन 2027 के लिए अपनी रणनीति में कुछ बदलाव करने की जरूरत है। जीत का प्रमाण पत्र लेने पहुंचे चंद्रभानु पासवान के साथ फैजाबाद के पूर्व सांसद लल्लू सिंह भी मतगणना स्थल पर मौजूद थे।

दरअसल, फैजाबाद लोकसभा में मिली हार को राजनीतिक गलियारों में भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा था। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इस हार पर भाजपा को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सांसद अवधेश प्रसाद को लोकसभा में अपने बगल में बैठाए रखा। वह बार-बार जताते रहे कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने के बाद भी वहां की जनता ने भाजपा को हराया।

दूसरी ओर, भाजपा ने पिछले साल नवंबर में नौ सीटों पर हुए उपचुनाव में छह सीटें जीतकर लोकसभा चुनाव का हिसाब कुछ हद तक बराबर करने की कोशिश की थी (उस उपचुनाव में सपा ने दो और रालोद ने एक सीट जीती थी)। लेकिन मिल्कीपुर में जीत का लक्ष्य बड़ा था। इसके लिए भाजपा ने अपनी तैयारी जारी रखी। फिर जब समाजवादी पार्टी ने फैजाबाद सीट से जीते सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद का नाम मिल्कीपुर से घोषित किया तो भाजपा ने स्थानीय सामाजिक समीकरणों और राजनीतिक गणित के हिसाब से उन्हें केंद्र में रखकर रणनीति बनाई। खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने कमान संभाली।

उन्होंने मिल्कीपुर में कई जनसभाएं कीं। साथ ही पार्टी के जिम्मेदार नेताओं को जिम्मेदारियां भी सौंपी। सीएम योगी ने मिल्कीपुर में भाजपा के प्रचार अभियान की देखरेख के लिए आधा दर्जन मंत्रियों को भी नियुक्त किया। मिल्कीपुर में भाजपा ने बूथ स्तर पर सघन अभियान चलाकर जमीनी कार्यकर्ताओं को एकजुट किया। बेहतर बूथ प्रबंधन का असर पांच फरवरी को मतदान के दिन भी देखने को मिला। भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपना एक-एक वोट डलवाया। कुल मिलाकर सभी की रणनीति और बेहतर समन्वय से ऐसा माहौल बना कि शनिवार को भाजपा ने पहले चरण से लेकर आखिरी चरण तक बढ़त बनाए रखी और आखिरकार मिल्कीपुर में ऐतिहासिक जीत हासिल की। ​​चंद्रभानु पासवान की जीत को मिल्कीपुर में भाजपा की अब तक की सबसे बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है। इससे भी अधिक इसे पिछले साल अयोध्या की फैजाबाद लोकसभा सीट पर मिली हार का ‘बदला’ भी माना जा रहा है।

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