India News (इंडिया न्यूज), India-Myanmar Border Security: भारत ने शुक्रवार (12 अप्रैल) को म्यांमार में सुरक्षा स्थिति को अनिश्चित बताया। जहां जुंटा विरोधी प्रतिरोध बलों की प्रगति के बीच बंदरगाह शहर सिटवे में वाणिज्य दूतावास से राजनयिकों को बाहर ले जाया गया। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने प्रेस वार्ता में बताया कि सितवे में भारतीय वाणिज्य दूतावास के कर्मचारियों को अस्थायी रूप से यांगून में स्थानांतरित कर दिया गया है। वहीं मांडले में वाणिज्य दूतावास पूरी तरह कार्यात्मकबना हुआ है। जायसवाल ने कहा कि म्यांमार में सुरक्षा स्थिति अनिश्चित बनी हुई है और बिगड़ती जा रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम म्यांमार में सुरक्षा स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। खासकर राखीन राज्य में हमारे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दी जानकारी

बता दें कि, तीन भारतीय नागरिकों के अपहरण के बारे में पूछे जाने पर, जिन्हें कथित तौर पर इस महीने की शुरुआत में पूर्वोत्तर से म्यांमार की ओर ले जाया गया था, जयसवाल ने कहा कि इस मामले पर भारतीय दूतावास काम कर रहा है और उम्मीद है कि वे जल्द ही घर वापस आ जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि इस मामले की जानकारी हमारे दूतावास को है, वे इस पर काम कर रहे हैं और उम्मीद है कि हम उन्हें बाहर निकालने में सक्षम होंगे। दरअसल फरवरी 2021 में म्यांमार में तख्तापलट करके सत्ता पर कब्ज़ा करने वाली सैन्य जुंटा और प्रतिरोध बलों के बीच तीव्र लड़ाई के बीच म्यांमार में अस्थिरता और हिंसा बढ़ गई। दरअसल प्रतिरोध बलों ने भारत, बांग्लादेश, चीन और थाईलैंड के साथ सीमाओं पर कई सीमा व्यापार और क्रॉसिंग बिंदुओं पर कब्जा कर लिया है।

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जुंटा और प्रतिरोध बलों के बीच संघर्ष हुई तेज

दरअसल पिछले हफ्ते प्रतिरोध बलों ने थाईलैंड की सीमा पर म्यावाडी में कई सैन्य ठिकानों और एक कमांड सेंटर पर नियंत्रण कर लिया। यह जुंटा के लिए एक और अपमानजनक हार थी। म्यावाड्डी का पतन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह थाईलैंड के साथ व्यापार के लिए म्यांमार का मुख्य पारगमन बिंदु है। वहीं म्यांमार में तीन साल पहले तख्तापलट के बाद से लोकतंत्र की बहाली के लिए व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। बता दें कि, भारत की सीमा के पास प्रमुख शहरों और सैन्य ठिकानों पर कब्जे से मणिपुर और मिजोरम में सुरक्षा स्थिति पर संभावित प्रभाव को लेकर नई दिल्ली में चिंताएं बढ़ गई हैं।

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